Sunday, October 13, 2019

क्या आज भी हमें हमारे स्मार्टफोन में ओवरचार्जिंग की चिंता करनी चाहिए? Kya Aaj bhi hamen hamare smartphone mein overcharging ki tension leni chahie?

अभी से अगर कुछ सालों पहले की बात करें तो हमारे स्मार्टफोन में हमें रिमूवेबल बैटरी देखने को मिलती थी जिसे हम खुद से लगा या निकाल सकते थे। परंतु आज जो बैटरी हमारे स्मार्टफोन में लगाए जाते हैं वह पहले के मुकाबले काफी ज्यादा एडवांस और बेहतर हो गए हैं। जहां एक और अब की बैटरी में उपयोग की जाने वाली टेक्नॉलॉजी को बेहतर की गई है वहीं दूसरी ओर उसमें यूज किए जाने वाले मटेरियल को भी बेहतर बनाया गया है।
      आपने गौर किया हो तो पहले की बैटरी में अगर हम ओवर चार्ज करते थे तो ज्यादातर बैटरी फूल जाती थी या कटने लगती थी। पर अब अगर हम अपने स्मार्ट फोन को चार्जिंग में लगा कर भूल भी जाए तो इस तरह का कोई प्रॉब्लम जल्दी देखने को नहीं मिलता। पहले के मुकाबले अब हमारे स्मार्टफोन जैसे-जैसे और स्मार्ट होते जा रहे हैं, हमारी चार्जिंग टेक्नोलॉजी भी डिवेलप हो रही है।
     साफ शब्दों में कहें तो अब अगर आप अपने स्मार्टफोन को ओवर चार्ज करते हैं, कभी चार्ज लगा कर भूल जाते हैं, तो स्मार्ट फोन की बैटरी में ज्यादा कुछ प्रभाव नहीं पड़ने वाला। अब के स्मार्टफोन में अगर आप चेक करें तो स्मार्टफोन का टेंपरेचर तब कम होता है जब वह ओवर चार्ज हो रहा होता है, मुकाबले जब वह नॉर्मल चार्ज हो रहा होता है। मतलब जब स्मार्ट फोन चार्ज हो रहा होता है 1 से 100% तब उसका टेंपरेचर जितना होता है 100% चार्ज हो जाने के बाद उसका टेंपरेचर उससे कम हो जाता है।
     अगर आप इसका जांच करना चाहते हैं तो एक छोटा सा चार्जर मीटर आता है जिसे अगर आप स्मार्टफोन और चार्जर के बीच कनेक्ट कर देते हैं तो आप उस चार्जर की चार्जिंग स्पीड आउटपुट को देख पाएंगे। अगर आप चार्जर मीटर से चेक करेंगे तो आप पाएंगे कि, शुरुआत में जब स्मार्ट फोन को चार्ज लगाया जाता है तब, वह उतना ही आउटपुट देता है जितना उस चार्जर की कैपेसिटी है। परंतु जैसे ही स्मार्टफोन 80% या 90% तक चार्ज हो जाता है तो उसका चार्जिंग स्पीड कम हो जाता है। और 100% चार्ज हो जाने के बाद चार्जिंग स्पीड बहुत कम हो जाती है। तब तो यह उतना ही चार्जिंग प्रोड्यूस करता है जितना उस स्मार्टफोन का पावर खपत होता है।

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आईयूसी चार्जेस क्या होते हैं? IUC charges kya Hote Hain?

इंटरकनेक्ट यूसेज चार्ज (IUC) एक प्रकार का शुल्क है जो एक टेलीकॉम ऑपरेटर दूसरे टेलीकॉम ऑपरेटर के नेटवर्क पर कॉल करने के लिए देता है। यह लेनदेन TRAI (Telecom regulatory Authority of India) के द्वारा होता है।
जब एक मोबाइल ऑपरेटर दूसरे मोबाइल ऑपरेटर के नेटवर्क पर कॉल करता है तो, कॉल करने वाले नेटवर्क को 6 पैसे प्रति मिनट उस नेटवर्क को देने होते हैं जिस पर उसने कॉल किए हैं। कॉल किए जाने वाले मिनट्स अगर दो नेटवर्क के बीच एक जैसे हो तो दोनों में से किसी को IUC चार्जेस देने की आवश्यकता नहीं होती। वहीं अगर कोई एक नेटवर्क दूसरे नेटवर्क पर ज्यादा कॉल करता है, तो आए हुए कॉल मिनट्स को माइनस करके बचे हुए मिनट के लिए पैसे देने होते हैं। इन पैसों की लेनदेन मंथली बेसिस पर TRAI के द्वारा होती है। TRAI कोशिश करता रहा है कि IUC चार्जर्स को पूरी तरह खत्म कर दिया जाए।
पहले लोगों को इसके बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं थी पर जब जिओ ने 10th अक्टूबर 2019 को IUC के लिए jio से दूसरे नेटवर्क पर कॉल करने के लिए ग्राहकों से अतिरिक्त शुल्क लेना शुरू किया। तब ज्यादातर लोगों को इसके बारे में पता चला।

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गूगल मैप्स में किसी जगह को कैसे जोड़ते हैं? Google Maps mein kisi jagah ko kaise jodte hain?

 जैसा कि आप जानते हैं गूगल मैप्स में हमें ना जाने कितने ही जगह, उसके फोटोस और उसके बारे में जानने को मिलता है। पर यह सब जगह गूगल, गूगल मैप्स में खुद से ही नहीं जोड़ता इसके लिए हम और आप जैसे लोग अपना योगदान देते हैं और गूगल मैप्स में नए-नए जगह, फोटोस, वीडियोस और उसकी डिटेल्स को ऐड करते है। तो चलिए आज के इस पोस्ट में देखते हैं कि कैसे हम गूगल मैप्स में किसी जगह को ऐड कर सकते हैं।
     इसके लिए आप सबसे पहले अपने स्मार्टफोन में गूगल मैप्स को खोल ले।  और फिर ऊपर बाई ओर दिए गए 3 लाइंस पर क्लिक करें।

क्लिक करते ही आपके पास एक मैन्यू खुल जाएगा जिसमें थोड़ा नीचे देखेंगे तो आपको एक add a missing place का ऑप्शन दिखेगा जिस पर क्लिक करें।

 इसके बाद आपके पास एक फॉर्म जैसा खुल जाएगा जिसमें आपको उस जगह की डिटेल्स डालनी है जिस जगह को आप ऐड करना चाहते हैं।

उपरोक्त दिए गए चित्र में से
1. जगह का नाम भरे।
2. उसकी कैटेगरी चुने जैसे स्कूल, कॉलेज, बाजार, मंदिर इत्यादि।
3.  यहां उस जगह का एड्रेस भरे या,
4. मैप्स में से ही पता चुने।
5.  कुछ और डिटेल्स जैसे वर्किंग अवर्स, वेबसाइट, फोन नंबर इत्यादि जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
6. सब कुछ भर लेने के बाद यहां क्लिक करें और सबमिट करें।

 कुछ और चीजें भरने या सुधारने के लिए जैसे नए रोड मैप को ऐड करने के लिए सेंड फीडबैक पर क्लिक करें।

 send feedback पर क्लिक करते ही आपको गूगल मैप्स में जगह ऐड करने को लेकर और भी कुछ ऑप्शन मिल जाएंगे।
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फ्लिपकार्ट सुपर कॉइन्स क्या है? इसका कैसे उपयोग करें? Flipkart super coins kya hai? Iska use kaise kare?

  फ्लिपकार्ट पर कुछ शॉपिंग करने पर या फ्लिपकार्ट के पार्टनर एप्स का उपयोग करने पर फ्लिपकार्ट हमें सुपर कॉइंस देता है। यहां हर एक सुपर कॉइंस की वैल्यू एक रुपए की होती है।  अगर किसी यूजर के पास बीते 1 वर्ष में 300 या उससे ज्यादा का सुपर  जमा हो जाता है तो अगले वर्ष के लिए फ्लिपकार्ट प्लस मेंबरशिप उस यूजर को बिल्कुल फ्री में दे दी जाती है। और इसके लिए किसी तरह का सुपर कॉइन भी नहीं लिया जाता।
       अगर आपके पास ज्यादा सुपर कॉइंस जमा हो जाते हैं तो आप फ्लिपकार्ट पर सिर्फ एक रुपए देकर कई सारे प्रोडक्ट खरीद सकते हैं जिसमें बाकी सारा पैसा आपके सुपर कॉइन्स से जाएगा बस आपको एक रुपए का अमाउंट पे करना होता है।

      इसके लिए अपने स्मार्टफोन में फ्लिपकार्ड ऐप खोलने के बाद super coins section में जाएं।

यहां आप थोड़ा नीचे स्क्रॉल डाउन करेंगे तो आपको एक ₹1 डील का सेक्शन दिखेगा,  उस पर क्लिक करें।

 क्लिक करने के बाद आपके पास कुछ प्रोडक्ट्स के कैटेगरी खुल जाएंगे जिसमें से आप उस कैटेगरी को चुने जिसके प्रोडक्ट्स आप खरीदना चाहते हैं।

 कैटेगरी का चयन करने के बाद आपको उस कैटेगरी के प्रोडक्ट्स दिखाए जाएंगे जिसमें से उस प्रोडक्ट को चुने जिसे आप को खरीदना है। जैसे ही आप अपनी पसंद के प्रोडक्ट पर क्लिक करके उसे खोलेंगे आप नीचे थोड़ा ध्यान देंगे तो वहां दिया होता है कि उसका एक्चुअल प्राइस क्या है और उसमें से आपको कितना पे करना है और कितना आपके सुपर कॉइन से कटेगा।

आप वहां चाहे तो उस प्रोडक्ट के लिए पूरा पैसा भी पे कर सकते हैं या सिर्फ एक रुपए पे करके बाकी सुपर कोइंस दे सकते हैं। और इस तरह आप अपने सुपर कोइंस की मदद से सिर्फ ₹1 में प्रोडक्ट फ्लिपकार्ट से खरीद सकते हैं।

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किसी दूसरे वेबसाइट के मुकाबले यूट्यूब बिना बफरिंग के और कम डाटा स्पीड में भी कम डाटा कंज्यूम करते हुए कैसे चलता है? Kisi Aur website Ke mukabale YouTube Bina buffering ke a aur kam data speed mein bhi kam data consume karte huye kaise chalta hai?

आपने देखा हो तो यूट्यूब अन्य वेबसाइट के मुकाबले बहुत कम डाटा स्पीड में भी बहुत अच्छा एक्सपीरियंस देता है, बिना अटके भी वीडियो अच्छे से चलता है। और अन्य वेबसाइट या एप्स के मुकाबले यह डाटा भी बहुत कम कंज्यूम करता है तो आखिर यूट्यूब ऐसा कैसे कर पाता है?
           जब कोई वीडियो यूट्यूब पर अपलोड किया जाता है तो यह वीडियो का ओरिजिनल फाइल साइज यूट्यूब के सर्वर में स्टोर हो जाता है। और फिर जब कोई व्यक्ति यूट्यूब पर उस वीडियो को देखता है, तो उसके डाटा स्पीड के हिसाब से उसे अलग-अलग फाइट साइज में अलग-अलग वीडियो क़्वालिटी में उस वीडियो को दिखाया जाता है। मतलब अगर किसी यूजर का इंटरनेट स्पीड कम है तो उसे उसी वीडियो को कम रेसुलशन ( कम क्वालिटी ) में दिखाया जाता है ताकि वह वीडियो बिना अटके हुए और कम डाटा कंज्यूम करते हुए अच्छे से चल सके। वहीं अगर किसी यूज़र का इंटरनेट डाटा स्पीड अच्छा है तो उसे वही वीडियो को ज्यादा रेसुलशन ( अच्छी क्वालिटी )  में दिखाया जाता है क्योंकि वह व्यक्ति उस वीडियो को अच्छी पिक्चर क्वालिटी में बिना अटके भी देख पाता है।

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पेटीएम पेमेंट्स बैंक क्रेडिट कार्ड, लोन और फिक्स डिपाजिट क्यों नहीं देता? Paytm payments Bank credit card, loan or fixed deposit Kyon Nahin deta?

   क्योंकि पेटीएम एक पेमेंट्स बैंक है और आरबीआई किसी पेमेंट्स बैंक को क्रेडिट कार्ड , फिक्स्ड डिपॉजिट या लोन देने की सुविधा प्रदान नहीं करता। इसलिए पेटीएम अपने से यह सारी सुविधाएं प्रदान नहीं कर सकता। पर फिर भी आप ने देखा होगा पेटीएम अपने ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड, लोन, फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे कई सारी सुविधाएं देता है तो आखिर यह सब पेटीएम कैसे कर पाता है चलिए जानते हैं।
       क्योंकि पेटीएम एक पेमेंट्स बैंक है और यह अकेला इतना सब कुछ नहीं कर सकता इसलिए पेटीएम अपने अंदर बहुत सारी सर्विसेस देने के लिए अपने पार्टनर्स के साथ मिलकर काम करता है। और इस तरह वह कई प्रकार की सुविधाएं आपको एक ऐप के अंदर ही दे देता है।
   जैसे किसी पेमेंट बैंक में ₹100000 से ज्यादा की राशि एक अकाउंट में जमा नहीं की जा सकती पर पेटीएम में आप कर सकते हैं। तो यहां  पेटीएम में जब यूजर एक लाख से ज्यादा की राशि जमा करता है तो एक लाख से अधिकतम राशि को पेटीएम अपने पार्टनर बैंक को भेज देता है और इस तरह जो भी आप एक लाख से ज्यादा की राशि पेटीएम पेमेंट बैंक में जमा करते हैं वह फिक्स डिपॉजिट में चला जाता है। और इस तरह पेटीएम एक लाख से ज्यादा की राशि भी जमा कर पाता है और फिक्स डिपाजिट की भी सुविधा दे पाता है अपने सहयोगी बैंक के साथ मिलकर।
 वहीं अगर बात करते हैं क्रेडिट कार्ड की तो आप देखेंगे पेटीएम जो हमें पेटीएम फर्स्ट क्रेडिट कार्ड देता है उसका सारा मैनेजमेंट सिटीबैंक करता है। मतलब यह क्रेडिट कार्ड आपको सिटीबैंक की तरफ से दी जाती है पर नाम पेटीएम का आता है। तो इस तरह पेटीएम अपने पार्टनर बैंक के साथ मिलकर आपको क्रेडिट कार्ड भी प्रदान करता है।
 वही कुछ दिनों पहले पेटीएम में पर्सनल लोन लेने की भी सुविधा दी गई थी जिसमें आप पेटीएम एप के द्वारा किसी दूसरे बैंक या कंपनी में पर्सनल लोन के लिए एप्लीकेशन दे सकते थे।

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Payments bank और small finance Bank क्या है? इनमे क्या अंतर है? Payments bank aur small finance Bank kya hai? Inme kya antar hai?

payments bank और small finance Bank के लिए 2014 में RBI द्वारा प्रस्ताव लाया गया था। payments bank के लिए जिस कमिटी के गठन किया गया था उसका नाम था Nachiket Mor committee वही small finance bank के लिए Usha Thorat committee का गठन हुआ था। इसका उद्देश्य था जिन ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध नहीं है उन इलाकों में भी बैंकिंग सुविधाओं से लोगों को जोड़ा जाए। दोनों तरह के बैंकों के लिए न्यूनतम पेड-अप पूंजी 100 करोड़ है।  मतलब इस तरह की बैंक खोलने के लिए 100 करोड़ की पूंजी होनी आवश्यक है। वही इन बैंकों से यह भी कहा गया कि आपको कम से कम 25% ब्रांच ग्रामीण इलाकों में खोलने होंगे जहां अभी तक बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। वही स्मॉल फाइनेंस बैंक के लिए कम से कम 10 साल का अनुभव भी होना चाहिए। इस तरह के बैंकों को लाने के साथ ही इनमें कुछ सीमाए ( limitations ) भी दी गई थी तो चलिए जानते हैं एक-एक करके कि पेमेंट्स बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंक क्या कुछ लिमिटेशंस दी गई है।

 payments Bank :- पेमेंट्स बैंक के लिए कुल 11  कंपनियों को लाइसेंस दिया गया था ये है

1. आदित्य बिड़ला नूवो लिमिटेड (Aditya Birla Nuvo Limited)
2. एयरटेल एम कॉमर्स सर्विसेस लिमिटेड (Airtel M Commerce Services Limited)
3. चोलामंडलम वितरण सेवा लिमिटेड (Cholamandalam Distribution Services Limited)
4. डाक विभाग (Department of Posts)
5. फ़िनो पेट टेक लिमिटेड (Fino PayTech Limited)
6. नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (National Securities Depository Limited)
7. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Reliance Industries Limited)
8. श्री दिलीप शांतिलाल सांघवी (Shri Dilip Shantilal Shanghvi)
9. पेटीऍम (Paytm)
10. टेक महिंद्रा लिमिटेड (Tech Mahindra Limited)
11. वोडाफोन एम-पेसा लिमिटेड (Vodafone m-pesa Limited)
     इनमें से तीन कंपनियों ने अपना पेमेंट बैंक का लाइसेंस आरबीआई को रिटर्न कर दिया और बाकी बचे 8 में से 4 पेमेंट बैंक के रूप में काम करना स्टार्ट कर दिया है ये है
Paytm payments Bank
Fino payment Bank
Airtel payments Bank
Indian Post payment Bank
और बाकी बचे 4 कंपनियों का पेमेंट बैंक स्टार्ट करना बाकी है। पेमेंट्स बैंक को दी गई कुछ लिमिटेशंस निम्न है
1. पेमेंट्स बैंक में  एक अकाउंट में अधिकतम ₹1 लाख तक ही जमा किया जा सकता है।
2. पेमेंट बैंक में चालू खाता या बचत खाता तो आप खोल सकते हैं पर फिक्स डिपाजिट या रिकरिंग डिपॉजिट नहीं कर सकते।
3. पेमेंट्स बैंक अपने ग्राहकों को डेबिट कार्ड तो प्रोवाइड कर सकता है पर क्रेडिट कार्ड नहीं दे सकता।
4. पेमेंट्स बैंक  अपने ग्राहकों को किसी प्रकार का लोन नहीं दे सकता।
5. पेमेंट्स बैंक NRI खाता नहीं खोल सकता ना ही NRI जमा ले सकता है।

 small finance Bank :- स्माल फाइनेंस बैंक के लिए कुल 10 बैंको को  लाइसेंस दिया गया था जिनमें से 8 ने स्मॉल फाइनेंस बैंक के रूप में काम करना स्टार्ट कर दिया है वहीं 2 का अभी शुरू करना बाकी है। चुने गए 10 स्मॉल फाइनेंस बैंक निम्न है 
1. Ujjivan Small Finance Bank
2. Jana Small Finance Bank
3. Equitas Small Finance Bank
4. AU Small Finance Bank
5. Capital Small Finance Bank
6. Fincare Small Finance Bank
7. ESAF Small Finance Bank
8. North East Small Finance Bank
9. Suryoday Small Finance Bank
10. Utkarsh Small Finance Bank

Small finance bank को payments bank के मुकाबले कम लिमिटेशंसदी गयी है। 
स्माल फिनांस बैंक लोन तो दे सकता है, पर 75% या उससे ज्यादा का लोन प्राथमिक छेत्र में देना होगा।
स्माल फाइनेंस बैंक में बचत और चालू खाता के अलावा एकल जमा या आवर्ती जमा खाता भी खोला जा सकता है।
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Saturday, October 12, 2019

Flat और UP TO डिस्काउंट में क्या अंतर है? Flat and upto discount me kya difference hai?

शॉपिंग ऑनलाइन हो या ऑफ़लाइन ऑफर्स और डिस्काउंट तो हर जगह देखने मिलते है, पर कही डिस्काउंट flat off कही upto off कही %off तो कही ₹off में रहता है तो आखिर इनमे अंतर क्या है?
तो सबसे पहले फ्लैट डिस्काउंट को समझते है। फ्लैट डिस्काउंट में आपको जो डिस्काउंट दी जाती है किसी प्रोडक्ट पर वह फिक्स होती है। मतलब आप चाहे जो भी प्रोडक्ट खरीदेंगे उसमें आपको जितना बताया गया है उतना प्रतिशत या इतने रुपए का डिस्काउंट मिलेगा। जैसे समझ लेते हैं अगर किसी शॉप पर हमें फ्लैट 20% डिस्काउंट मिल रहा है तो वह प्रोडक्ट चाहे ₹100 का हो या ₹200 का हमें उस प्रोडक्ट पर 20% डिस्काउंट मिलेगा। 20% मतलब अगर प्रोडक्ट ₹100 का है तो इसमे ₹20 off हो जाएगा वहीं अगर प्रोडक्ट ₹200 का है तो ₹40 ऑफ हो जाएगा। 
               वहीं दूसरी ओर upto डिस्काउंट का मतलब होता है, जो भी प्रोडक्ट आफ खरीदेंगे उसमें उतने तक का डिस्काउंट आपको मिल सकता है,  जितना कहा गया है उससे ज्यादा नहीं।  यहां आपको हर प्रोडक्ट पर अलग-अलग डिस्काउंट दिया जाएगा कोई फिक्स डिस्काउंट नहीं होता। जैसे मान लेते हैं अगर किसी शॉप पर लिखा है upto 20% डिस्काउंट तो इसका मतलब होगा उस दुकान में मिलने वाले प्रोडक्ट्स पर हमें 20% तक छूट मिल सकती है। यह छूट 2%, 10%, 15% या 20% भी हो सकती है।
     
       अब कई बार यह छूट हमें % में मिलती है तो कहीं ₹ में तो, अगर किसी प्रोडक्ट में % छूट मिलती है तो इसका मतलब है कि आपको वहाँ % निकलना होगा, और जितना ज्यादा कीमत का वह प्रोडक्ट होता उतना ही ज्यादा आपको डिस्काउंट मिलेगा। जैसे 20% डिसकाउट है तो प्रोडक्ट अगर ₹100 का है तो ₹20, ₹200 का है तो ₹40, ₹1000 का है तो ₹200 डिस्काउंट मिलेगा। 
लेकिन अगर आपको किसी प्रोडक्ट पर ₹ डिस्काउंट मिलता है तो वह कोई मैथ करने की जरूरत। नही है। ₹ डिस्काउंट अगर flat है तो आपको हर प्रोडक्ट पर एक जैसा ही डिसकाउंट मिलेगा चाहे वह प्रोडक्ट कितना भी सस्ता हो या महँगा।  अगर किसी शॉप पर आपको फ्लैट ₹20 का डिस्काउंट दिया जा रहा है तो वहां आप किसी भी प्रोडक्ट को खरीदेंगे तो उसमें आपको ₹20 डिस्काउंट दिया जाएगा चाहे वह प्रोडक्ट ₹100 का वह ₹200 का या ₹1000 का। लेकिन वहीं अगर कहा गया है upto 20% डिस्काउंट तो आप उस दुकान में आप जो कुछ भी खरीदेंगे उसमें आपको ₹20 तक का डिस्काउंट दिया जा सकेगा। यह डिस्काउंट ₹2, ₹5, ₹7, ₹15 या ₹20 जैसा कोई भी रैंडम नंबर हो सकता है।

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किसी स्मार्टफोन में TalkBack क्या है? इसका उपयोग कैसे करते है? Kisi smartphone me TalkBack kya hai? Iska use kaise karte hai?

 आपको लगभग हर स्मार्टफोन में TalkBack का ऑप्शन मिल जाता है। पर अब तक कई सारे स्मार्टफोन यूज़र्स नही जानते के यह हमारे स्मार्टफोन में क्यों दिया गया है, इसका क्या काम है?
      TalkBack का विकल्प उन लोगों के लिए दिया गया है जिनको काम दिखाई देता है या देख नही सकते। इसका उपयोग करके कोई व्यक्ति बिना देखे भी स्मार्टफोन का उपयोग कर सकता है। इस फीचर  में जब हम  अपने स्मार्टफोन में किसी चीज को छूते हैं तो वहां से हमें बोलकर बताएं जाता है कि आपने किस चीज पर टच किया है और अगर हम वहां डबल टच करते हैं तो वह मेन्यु खुल जाता है। इस तरह से अगर कोई व्यक्ति कम देखता हो या देख नहीं सकता तो वह भी talkback फीचर का उपयोग करके स्मार्टफोन कोई यूज़ कर सकता है।
TalkBack को किसी एंड्राइड फोन में ऑन या ऑफ करने के लिए सबसे शॉर्टकट है कि आप वॉल्यूम अप और डाउन बटन को एक साथ दबाकर रखें। volume up and down button को एक साथ दबा कर रखने पर आप talkback को चालू कर पाएंगे और अगर आपको talkback को बंद करना है तो फिर से आपको वॉल्यूम अप और डाउन बटन को एक साथ दबाना होगा। अगर आप टॉकबैक को सेटिंग्स में जाकर ढूंढना चाहते हैं तो नीचे दिए गए निर्देशों का पालन करें👇

1. अपने स्मार्टफोन में सेटिंग्स को खोल ले।  और फिर एडिशनल सेटिंग्स में जाए।

2. एडिशनल सेटिंग्स में जाने के बाद एक्सेसिबिलिटी सेटिंग्स को ओपन करें।

3.  accessibility settings में आपको एक्सेसिबिलिटी  के सभी सेटिंग्स दिखा जाएंगे जहां से आप टॉक बैक को ऑन या ऑफ कर सकते हैं।

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tamil nadu prize schemes (prohibition) act क्या है? tamil nadu prize schemes (prohibition) act kya hai?

आपने कभी ध्यान दिया हो तो PhonePe, Google pay, paytm, Amazon, pepsi जैसी कई सारी कंपनिया समय-समय पर अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए जो नए-नए ऑफर्स या कॉन्टेस्ट लाती है उसके डिटेल में जाएंगे तो आप देखेंगे वह मेंशन रहता है कि यह आफर तमिलनाडु स्टेट में उपलब्ध नही है, "तमिलनाडु पुरस्कार योजना (निषेध) अधिनियम 1979" के कारण। तो यह पुरस्कार योजना (निषेध) अधिनियम क्या है और सिर्फ तमिलनाडु में ही क्यों है।

tamil nadu prize schemes (prohibition) act तमिलनाडु सरकार द्वारा पास किया गया एक अधिनियम है जिसे वर्ष 1979 में लाया गया था। इस अधिनियम के अनुसार कोई कंपनी, संगठन या व्यक्ति विशेष किसी प्रकार के उत्पादों की बिक्री पर कोई पुरस्कार नही दे सकता।  इस अधिनियम के अनुसार तमिलनाडु के प्रदेश के अंदर किसी तरह का लॉटरी, आफर या प्राइज देना कानूनन अपराध है। अगर कोई इसका उलंघन करता है तो उसे 3 साल तक की सजा हो सकती है।  ऐसी किसी भी तरह की स्कीम जिससे तुरंत बिना मेहनत के लाभ हो, तमिलनाडु में बंद किया गया है इस अधिनियम के तहत।

 अब आपके दिमाग में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर इस अधिनियम की जरूरत क्यों और कब पड़ी? तो 1979 से पहले  तमिलनाडु में बहुत सारे लोग ऐसे थे जिनको जुए की लत लग गयी थी। और वहाँ जुआ इतना ज्यादा बढ़ गया था के गरीब लोग जो अपना पेट भरने में सछम नही थे वे भी पैसे बचाकर जुए में लगते थे। इससे जुए खुलने वाले गरीब लोग और भी गरीब होते जा रहे थे और अमीर जो लॉटरी खेलवाते थे, और भी अमीर होते जा रहे थे। तब वहाँ के स्टेट गवर्मेंट के यह फैसला लेना पड़ा और यह अधिनियम पास कराया गया जो अब तक लागू है।

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Wednesday, October 9, 2019

एंड्रॉइड, विंडोज में फ्री एंटीवायरस लेना चाहिए या भुगतान करके? Android, Windows mein paid antivirus lena chahie ya free??

 इंटरनेट पर हर तरह के एंटीवायरस सॉफ्टवेयर उपलब्ध है।एंटीवायरस सॉफ्टवेयर  विंडोज और  एंड्रॉयड दोनों के लिए ही उपलब्ध है, जहां पर कुछ को आप भुगतान करके ले सकते हैं, वहीं कुछ आपको फ्री में भी मिल जाते हैं।  तो आखिर हमें किस प्लेटफार्म के लिए किस तरह का एंटीवायरस सॉफ्टवेयर लेना चाहिए।
 सबसे पहले हम अगर बात करते हैं किसी एंड्रॉयड डिवाइस की तो Android अपने आप में ही बहुत ज्यादा सुरक्षित होता है। इसके लिए आपको  किसी तरह का paid  antivirus software लेने की कोई जरूरत नहीं है।  हालांकि अगर आप किसी एंड्रॉयड डिवाइस में किसी एंटीवायरस को यूज़ नहीं भी करते हैं तो ज्यादा कुछ फर्क नहीं पड़ता।  Android की सुरक्षा गूगल के हाथों में होती है।  इसमें आपकी मर्जी के बिना किसी तरह का सॉफ्टवेयर या एप्स इंस्टॉल नहीं किया जा सकता और इंस्टॉल किए गए सॉफ्टवेयर को जब तक आप परमिशन  नहीं देते वह आपके फोन में उस चीज को एक्सेस नहीं कर सकता। Android device में आपको आपकी जरूरत के लगभग सभी एप्लीकेशन मिल जाते हैं जो गूगल प्ले प्रोटेक्ट से सुरक्षित होते हैं।
       वहीं अगर हम बात करते हैं  किसी Windows device की तो यह एंड्रॉइड से कम ही सिक्योर होता है।  अगर आप विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम को अपडेटेड नहीं रखते हैं तो इसमें वायरस अटैक का खतरा बहुत ज्यादा होता है।  और क्योंकि बहुत सारे लोग ओरिजिनल विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम को नहीं खरीदते इसलिए उन्हें यह सारे लेटेस्ट अपडेट नहीं मिल पाते और उनके विंडोस के सिक्योरिटी उतनी नहीं रह पाती।  वहीं दूसरी ओर विंडोज एप स्टोर में आपको ज्यादातर सॉफ्टवेयर देखने को नहीं मिलते जिसकी वजह से यूजर्स को कहीं थर्ड पार्टी से यह एप्लीकेशन इंस्टॉल करने होते हैं जिसके कारण भी वायरस का खतरा बढ़ जाता है और डिवाइस उतना सुरक्षित नहीं रह पाता। 
 तो इसलिए अगर आप अपने windows pc को सुरक्षित रखना चाहते है तो यहाँ आपको एक अच्छा एंटीवायरस सॉफ्टवेयर लेने की जरूरत है।  और अगर आप विंडोस के लिए कोई अच्छा एंटीवायरस लेना चाहते हैं तो इसके लिए आपको भुगतान करना होगा।  क्विक हील जैसे कई सारे एंटीवायरस सॉफ्टवेयर आपको विंडोस के लिए मिल जाएंगे जो आपके विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम को काफी अच्छी सुरक्षा प्रदान कर देते हैं।
 वहीं अगर आप विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में किसी फ्री एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को यूज करना चाहते हैं तो इसके लिए आप Bitedifender के फ्री वर्शन जैसे सॉफ्वारे का उपयोग कर सकते है।

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एकल उपयोग प्लास्टिक क्या है? यह पर्यावरण के लिए नुकसानदेह क्यों है? Single use plastic kya hai? yah environment ke liye dangerous kyon hai?

आज के समय में प्लास्टिक हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक ना जाने कितने ही सारे ऐसे वस्तुओं का उपयोग करते हैं जो प्लास्टिक से बने होते हैं।  इसमें से  कुछ प्लास्टिक को पिघलाकर दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है परंतु कुछ प्लास्टिक ऐसे होते हैं जिनका एक बार उपयोग होने पर दोबारा उपयोग नहीं किया जा सकता जैसे कैर्री बैग, प्लास्टिक प्लेट्स, कप, पानी की बोतलें इत्यादि। तो जिन प्लास्टिक वस्तुओं का दोबारा उपयोग नहीं किया जा सकता उसे एकल उपयोग या single use प्लास्टिक  कहा जाता है  वही जिन प्लास्टिक वस्तुओं को पिघलाकर  उसको दोबारा उपयोग में लाया जा सके ऐसे प्लास्टिक को Recycle या पुनरुपयोगी प्लास्टिक कहते हैं।
               एकल उपयोग प्लास्टिक से पर्यावरण को बहुत  नुकसान हो रहा है। क्योंकि प्लास्टिक को नस्ट होने में सालो लग जाते है, और एकल उपयोग प्लास्टिक को एक बार से ज्यादा उपयोग नही किया जा सकता इसलिए इसका कचरा जमा होता जा रहा है। एकल उपयोग प्लास्टिक को पुनः उपयोग में नही लाया जा सकता और इसे नस्ट करना भी एक बड़ी चुनौती है क्योंकि अगर हम इसे जला देते है तो इससे निकलने वाली ज़हरीली गैसो  से वायुमंडल को बहुत नुकसान होता है। वहीं अगर हम इसे जमीन के अंदर गाड़ देते हैं तो भूमिगत जल मैं इसके रसायन खुल जाते हैं और इससे पीने के पानी को क्षति पहुंचती है। और अगर इसे खुले में जानवर खा ले तो उनकी मौत की भी संभावना होती है। कई सारे प्लास्टिक समंदर में चले जाते हैं और समुद्री जीव इसे खा कर मर जाते हैं तो इस तरह एक न्यूज़ प्लास्टिक  पृथ्वी पर सभी जीवो के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बना हुआ है।

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Sunday, October 6, 2019

वीओआईपी कॉल क्या होता है? यह कैसे काम करता है? VoIP calls kya hote Hain? yah kaise kam karta hai?

अक्सर हम जो व्हाट्सएप, मैसेंजर, स्काइप या ऐसे ही किसी और एप्लीकेशन के द्वारा कॉल करते हैं, उसे VoIP कॉल कहते हैं। VoIP calls Public Switched Telephone Network (PSTN) calls से बहुत अलग होते है। एक वीओआईपी फोन या आईपी फोन, पारंपरिक सार्वजनिक स्विचड टेलीफोन नेटवर्क के बजाय इंटरनेट जैसे आईपी नेटवर्क पर टेलीफोन कॉल रखने और प्रसारित करने के लिए आईपी तकनीकों पर वॉइस ओवर का उपयोग करता है।
PSTN नेटवर्क कॉल की Quality VoIP कॉल की Quality से बहुत अच्छी होती है। VoIP कॉल में कॉल करने वाले व्यक्ति की voice डेटा के फॉर्म में एक बंडल बनकर सामने वाले को भेजी जाती है। जिसके वजह से voice प्राप्त करने वाले को कॉल के दौरान आवाज थोड़ी देर से प्राप्त होती हैं। वहीं दुसरी ओर PSTN नेटवर्क में कॉलर का voice एक नेटवर्क से होते हुए रियल टाइम में रिसीवर के पास चला जाता है।

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वाई-फाई डायरेक्ट क्या है? यह कैसे काम करता है? Wi-Fi direct kya hai? yah Kaise kam karta hai?

 हमें, हमारे फोन में वाईफाई डायरेक्ट का ऑप्शन देखने को मिलता है सेटिंग्स में, पर कई सारे लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं है कि यह हमारी फोन में क्यों दिया गया है और इसका उपयोग क्या है कैसे करना है।
    वाई-फाई डायरेक्ट, जिसे शुरू में वाई-फाई पी 2 पी (पीयर टू पीयर) कहा गया है, फ़ोन में एक मानक सक्षम सॉफ्टवेयर है जो वायरलेस एक्सेस प्वाइंट की आवश्यकता के बिना आसानी से एक-दूसरे के साथ कनेक्ट हो सकता है।  वाई-फाई डायरेक्ट का एक फायदा उपकरणों को जोड़ने की क्षमता है, भले ही वे विभिन्न निर्माताओं से हों।
   वाईफाई डायरेक्ट कई सारे स्मार्टफोन में दिए तो गए होते हैं पर,  उसे बिना किसी थर्ड पार्टी सॉफ्टवेयर की उपयोग नहीं किया जा सकता। सैमसंग के कई सारे स्मार्टफोन में आप वाईफाई डायरेक्ट को डायरेक्टली उपयोग में ला सकते हैं, जहां एक दूसरे सैमसंग स्मार्टफोन को आप आपस में वाईफाई डायरेक्ट से कनेक्ट करके बहुत तेजी से डाटा ट्रांसफर कर सकते हैं, बिना किसी थर्ड पार्टी एप्लीकेशन के। वहीं दूसरे मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों के स्मार्टफोन में आपको वाईफाई डायरेक्ट से डाटा ट्रांसफर करने के लिए थर्ड पार्टी एप्लीकेशन जैसे shareit, shareme, xender का उपयोग करना पड़ता है, जिसके बाद आप बहुत तेजी से डाटा ट्रांसफर कर पाते हैं।
     Wi-Fi direct को आप अपने स्मार्टफोन में बहुत आसानी से ढूंढ सकते हैं

इसके लिए आप अपने फोन में सेटिंग्स को ओपन करें।  और उसमें वाईफाई के ऑप्शन पर क्लिक करें।

 वाईफाई सेटिंग्स में जाने के बाद एडवांस सेटिंग्स पर क्लिक करें।


 advanced settings के अंदर आपको Wi-Fi direct का ऑप्शन दिख  जाएगा।


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किसी न्यूज़पेपर के विज्ञापन का रेट ऑनलाइन कैसे पता करें? Kisi newspaper ka advertising rate Kaise Pata Karen?


 आज हम देश का कोई भी अखबार उठा कर देख ले उसमें हमें कई तरह के विज्ञापन देखने को मिलते हैं। जिसमें से कुछ फुल पेज विज्ञापन होते हैं, तो कुछ क्लासिफाइड। कुछ कलर होते हैं तो कुछ ब्लैक एंड वाइट। तो कई बार हमारे मन में यह सवाल आता है कि आखिर कोई न्यूज़पेपर किसी तरह के विज्ञापन के लिए कितना चार्ज करता है?
        अगर आप किसी न्यूज़पेपर का विज्ञापन रेट पता करना चाहते हैं ऑनलाइन तो आपको इसके लिए एक वेबसाइट विजिट करना होगा releasemyad.com ।  इस वेबसाइट पर आपको देश के लगभग सारे न्यूज़़पेपर के advertising rate देखने को मिल जाएंगे और इसी वेबसाइट के द्वारा आप उन न्यूज़पेपर पर अपना विज्ञापन  भी चला सकते हैं।

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स्मार्टफोन में दो माइक क्यों दिए होते है? दूसरे माइक का क्या काम होते है।? Smartphone Mein 2nd mic Kyon Diya Hota Hai? Secondary microphone Ka Kya Kam Hai?

 कई सारे फ़ोन में आपको दो माइक्रोफोन देखने को मिलते हैं। जहां पहला माइक्रोफोन नीचे की साइड लगा होता है वही सेकेंडरी या दूसरा माइक्रोफोन ऊपर की  तरफ लगा होता है। तो स्मार्टफोन में दो तरह के माइक की क्या आवश्यकता है और यह माइक विपरीत दिशा में क्यों लगाए जाते हैं चलिए जानते हैं।
     जैसा कि आप जानते हैं पहले के फोन में जब हम कॉल पर किसी से बात करते थे, तो हमें  सामने वाले की आवाज  साफ-साफ सुनाई नहीं देती थी पर अब स्मार्टफोन में हमें एचडी कॉलिंग का भी ऑप्शन मिल जाता है। जहां पर अगर हम किसी से कॉल पर बात करते हैं तो कॉल की क्वालिटी बहुत ही अच्छी होती है उसमें किसी तरह का नॉइस नहीं होता।  और इसी के लिए सेकेंडरी माइक को लगाया जाता है ताकि दूसरी ओर से आने वाले नॉइस को फिल्टर करके उसे रिमूव किया जा सके।
        जब हम कॉल पर किसी से बात करते हैं तो नीचे की साइड लगा हुआ माइक्रोफोन हमारी आवाज को रिकॉर्ड करता है, वही ऊपर की ओर लगा हुआ माइक्रोफोन ऊपर से आ रहे अनचाहे सोर को रिकॉर्ड करता है और फिर दोनों माइक्रोफोन से रिकॉर्ड किए गए वॉइस को फिल्टर किया जाता है। इसमें ऊपर के माइक से रिकॉर्ड किए गए वॉइस को नीचे के माइक से रिकॉर्ड किया जाए वॉइस से मैच करके उसे हटा दिया जाता है। और फिर बचा हुआ क्लियर वॉइस सामने वाले को भेजा जाता है।  और इस तरह सामने वाले को हमारी वॉइस बिना किसी नॉइस के जाती है।

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Saturday, October 5, 2019

कोई नया स्मार्टफोन लेने से पहले क्या चेक करना चाहिए? New smartphone buying guide in hindi.

कई बार लोग जब कोई नया स्मार्टफोन खरीदने जाते है तो फ़ोन में बस एक-दो चीज़े देखकर ही फ़ोन खरीद लेते है जिसके बाद, बाद में फिर उन्हें बाकी फीचर्स के लिए पछताना पड़ता है।
    तो चलिए देखते है वह कौन-कौन सी बातें है जिनका ध्यान रखना चाहिए हमे कोई नया स्मार्टफोन खरीदते समय।

1. Brand :- किसी भी फ़ोन को खरीदने से पहले ही तय करले की आपको किस बॉन्ड का फ़ोन लेना है। किसी भी फ़ोन को खरीदने में ब्रांड वैल्यू को देखना जरूरी होता है, क्योंकि बॉन्ड के ऊपर ही निर्भर करता है कि आपको आपके फ़ोन में सिक्योरिटी उपडेट मिलेंगे या नही, या कब तक मिलेंगे, उसकी सर्विस आपको कैसी मिलेगी इत्यादि।

2. Processor :-  किसी भी फोन में स्मूथ एक्सपीरियंस के लिए एक अच्छा प्रोसेसर का होना बहुत जरूरी होता है।  अगर आपके फोन में 10GB तक का भी अगर ram लगा है पर प्रोसेसर अच्छा नही है तो आपको उस फ़ोन में अच्छा एक्सपेरिएंस नही मिलेगा। cheap processor के कारण ही फ़ोन स्लो हो जाता है, हैंग करने लगता है।
ज्यादातर samsung के फ़ोन्स में आपको Exynos का processor मिलता है, वही Huawei का kirin processor आता है, और बाकी के सारे फ़ोन में आपको  MediaTek या Qualcomm processor मिलता है, तो आप जिस प्राइस रेंज में फ़ोन ले रहे है उसमें मिलने वाले और फ़ोन के प्रोसेसर को भी देख ले।

3. Ram :-   प्रोसेसर के बाद आपको देखना है कि उस फोन में आपको रैम कितनी दी जा रही है। ऐसा नहीं है कि आपके फोन में बहुत ज्यादा रैम होने पर वह फोन बहुत ज्यादा अच्छा परफॉर्म करेगा। रैम बस आपके फोन में एक साथ ज्यादा से ज्यादा एप्लीकेशन को चलाने में सहयोग करता है। किसी नॉर्मल यूजर्स के लिए 3 से 4GB तक का Ram बहुत होता है।

4.  internal storage :- Ram चेक करने के साथ ही आपको उस फोन में दिए जा रहे इंटरनल स्टोरेज को भी देख लेना चाहिए। देख ले कि जो इंटरनल स्टोरेज उस फोन में दी जा रही है क्या वह आपके लिए काफी होगा या नहीं। साथ ही यह भी देखें कि उस फोन में आपको अलग से मेमोरी कार्ड लगाने का स्लॉट दिया भी जा रहा है या नहीं, क्योंकि कई सारे फोन में आपको मेमोरी कार्ड स्लॉट नहीं दिए जाते या तो फिर हाइब्रिड सिम स्लॉट दिए जाते हैं, जहां पर एक सिम और एक मेमोरी कार्ड आप लगा सकते हैं, या दोनों सिम कार्ड ही आप लगा सकते है।

5. Camera :-  आज स्मार्टफोन का उपयोग कॉलिंग से ज्यादा फोटोग्राफी और वीडियो के लिए होता है। इसलिए कोई फोन खरीदते समय आप यह भी देख ले कि आपके फोन का कैमरा कैसा है।  कई सारे फोन कैमरा सेंट्रिक ही बनाए जाते हैं जिसमें आपको कैमरा बहुत अच्छा दिया जाता है पर बाकी स्पेसिफिकेशन इतने अच्छे नहीं होते। तो आप एक बार देख ले कि आपको फोन किस चीज के लिए लेना है अगर आप का फोकस मेन कैमरे पर है तो कैमरा सेंट्रिक स्मार्टफोन ले सकते हैं। कैमरे में भी कई सारी चीजें होती है जिसे हमें चेक करना होता है जैसे कैमरा कितने मेगापिक्सल का है, उसमे कोनसा लेंस लगा है, कितने अपर्चर का है इत्यादि। अगर आपको इनसब के बारे में ज्यादा जानकारी नबी है तो आप यूट्यूब पर कैमरा रिव्यु या कंपैरिजन देख सकते है।

6. Battery :- अगर आप फ़ोन को दिन भर यूज़ करते हैं या तो फिर ज्यादा यूज करते हैं, तो आपको फोन में बैटरी जरूर देख लेनी चाहिए कि उस फोन में कितनी बैटरी दी गई है और उसका बैटरी बैकअप कैसा है। कई सारे फोन में आपको बैटरी तो बहुत ज्यादा मिल जाती है पर, वह फोन बैटरी बैकअप अच्छा नहीं दे पाता। तो आप एक बार चेक कर ले फिर उस फोन का बैटरी बैकअप कैसा है।

7. Look, build quality, protection :-  फोन को लेते समय आप उसका लुक तो वैसे भी चेक कर ही लेंगे। क्योंकि अगर फोन देखने में अच्छा ना हो तो भला कौन लेना पसंद करेगा। यहां पर आपको साथ ही साथ क्वालिटी भी देखनी है, उसकी क्वालिटी कैसी है उसमें आपको प्रोटेक्शन कैसा दिया गया है। जैसे कई सारे फोन के स्क्रीन को प्रोटेक्ट करने के लिए गोरिल्ला ग्लास प्रोटेक्शन दिया जाता है। तो उसमें भी कई सारे version आते हैं तो आपके फोन में कौन सा वर्जन यूज किया गया है। ताकि फ्यूचर में अगर आपकी आपसे फोन गिर जाए कुछ और प्रॉब्लम आ जाए तो कुछ हद तक आपकी फोन की सुरक्षा हो सके।

8. और भी कई सारी बातों का ध्यान रख सकते है फ़ोन लेते समय जैसे  IP certification, connectivity, usb type, ir blaster, fast charging etc

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Thursday, October 3, 2019

गूगल इमेज सर्च का उपयोग स्मार्ट फोन से कैसे करें? Google image search ka upyog smartphone se kaise karen?

 गूगल इमेज सर्च, गूगल सर्च का एक बहुत अच्छा टूल है। जहां हम किसी फोटो की मदद से उसके बारे में गूगल पर सर्च कर सकते हैं, और पता कर सकते हैं, उस फोटो से रिलेटेड और फोटोस हैं या नहीं या तो फिर वह फोटो इंटरनेट पर उपलब्ध है या नहीं, वह फ़ोटो कहाँ से ली गयी है।  ऐसी कई सारी सुविधाएं हमें गूगल फोटो सर्च का उपयोग करके मिल जाता है 
       पर Google image search  करने का ऑप्शन सिर्फ डेस्कटॉप पीसी पर ही मिलता है। जहां आप अगर क्रोम ब्राउज़र को खोलते हैं, तो उसमें आपको सर्च बार मे ही इमेज का आइकॉन  दिख जाता है जिस पर क्लिक करके इमेज अपलोड करके आप बहुत आसानी से गूगल इमेज सर्च का उपयोग कर सकते हैं।  लेकिन अगर किसी उपभोक्ता के पास डेस्कटॉप या पीसी नहीं है तो वह यह काम कैसे करें।  तो स्मार्टफोन पर गूगल इमेज सर्च का उपयोग करने के लिए आप नीचे दिए गए निर्देशों का पालन करें:- 
1. सबसे पहले अपने स्मार्टफोन में क्रोम ब्राउज़र को खोल ले  और फिर मेन्यु पर क्लिक करें

2. लिस्ट में दिए गए ऑप्शन में से "रिक्वेस्ट डेस्कटॉप साइट" वाले बॉक्स को चेक मार्क कर दे।

3.  इसके बाद आपको सेक्स बार में google.com सर्च करना है।

4. Google.com सर्च करने के बाद आपके पास गूगल का होम पेज खुल जाएगा जिसमें ऊपर दाहिने कोने में आपको इमेज लिखा हुआ दिखेगा जिस पर क्लिक करना है।


5.  image पर क्लिक करने के बाद आपके पास एक और नया सर्च बार खुल जाएगा, जिसमें आपको इमेज का एक आइकन भी दिखेगा आपको उस आइकन पर क्लिक करना है।

6.  आइकन पर क्लिक करने के बाद आपके पास दो ऑप्शन खुल कर आएंगे। जिसमें से पहले ऑप्शन के द्वारा आप किसी इमेज के यूआरएल से उस इमेज की डिटेल पता कर सकते हैं, और दूसरा ऑप्शन पर क्लिक करने के बाद आप किसी फोटो को गूगल पर अपलोड  करने के बाद उस इमेज की डिटेल्स पता कर सकते हैं।

दूसरे ऑप्शन पर क्लिक करने के बाद नीचे दिए गए चित्र के अनुसार आपके पास ऑप्शन निकल कर आएगा जिसमें आप अपलोड फाइल पर क्लिक करके उस इमेज को अपलोड करके उसकी डिटेल निकाल सकते हैं।

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किसी ब्राउज़र में बुकमार्क्स क्या होता है ? Kisi browser mein bookmarks kya hota hai?

  किसी ब्राउज़र में बुकमार्क्स का काम होता है इंटरनेट पर मौजूद इसी एड्रेस को चिन्हित करना। या हम कह सकते हैं किसी web URL को चिन्हित करना  bookmarks कहलाता है।
 किसी ब्राउज़र में।      
           इंटरनेट पर ना जाने कितने ही सारे वेबसाइट, आर्टिकल, वीडियोस, फोटोस मौजूद है। अगर इनमें से हमें कहा जाए कुछ 10 वेब यूआरएल को याद रखने के लिए तो यह बहुत मुश्किल हो जाएगा, तो इसी का हल बुकमार्क्स है। जहां पर किसी भी वह यूआरएल को अगर आप बुकमार्क्स करके रखते हैं तो बहुत ही आसानी से दोबारा उस स्थान पर पहुंच सकते हैं।
     चाहे आप कोई सा भी ब्राउज़र यूज कर रहे हो आपको हर ब्राउज़र में बुकमार्क का ऑप्शन मिल जाएगा। आपको ब्राउज़र खोलने के बाद उसमें मेन्यु पर क्लिक करना है और आपको आपका बुकमार्क्स का एक ऑप्शन दिख जाएगा।



 वहीं अगर आप कोई आर्टिकल या वेबसाइट को बुकमार्क्स करना चाहते हैं, तो उस वेबसाइट या आर्टिकल को खोलने के बाद  मैन्यू के ऊपर क्लिक करें और फिर स्टार पर क्लिक कर दें, जिससे वह एड्रेस बुकमार्क्स हो जाएगा।

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Tuesday, October 1, 2019

भारत का सबसे सस्ता ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट कौन सा है? मीशो क्रेडिट क्या है? India ka sabse sasta online shopping website kaun sa hai? Meesho credit kya hai?

अगर कोई पूछे भारत का सबसे सस्ता ई-कॉमर्स वेबसाइट कौन सा है, तो  कुछ समय हमें सोचना पड़ेगा कि आखिर कौन सा वेबसाइट सबसे सस्ता है?  प्रत्येक ई-कॉमर्स वेबसाइट पर तो समय-समय पर प्राइस चेंज होते रहता है।
 लेकिन एक वेबसाइट ऐसा भी है जो अपने प्रोडक्ट्स का सबसे सस्ता होने का दावा करता है, और अगर आप उस वेबसाइट से सस्ता प्रोडक्ट कहीं और ढूंढ पाते हैं तो इसके लिए वह आपको रिवॉर्ड भी देता है।
       इस वेबसाइट का नाम है "meesho"।  हालांकि यह कोई वेबसाइट नहीं है। आप इसे एंड्रॉयड और आईओएस डिवाइसेस में इंस्टॉल करके एक एप्लिकेशन के रूप में उपयोग कर सकते हैं।

यहाँ से install करे meesho app👇
https://meesho.com

मीशो  का दावा है कि मीशो के ऊपर मिलने वाले प्रोडक्ट्स सबसे सस्ते होते हैं, और इससे सस्ते प्रोडक्ट आपको कहीं और किसी और ई-कॉमर्स वेबसाइट पर नहीं मिल सकते।  अगर आपको लगता है कि किसी और ई-कॉमर्स वेबसाइट पर आपको meesho से सस्ते प्रोडक्ट्स मिल रहे हैं तो मिशु के अंदर उस प्रोडक्ट के नीचे जाकर लोवेस्ट प्राइस गारंटी पर क्लिक करके उसका रिपोर्ट करें।

रिपोर्ट सबमिट करने  के बाद मीशो आपके रिपोर्ट को वेरीफाई करेगा और अगर यह सही निकला तो, मीशो आपको, जितने का प्राइस अंतर होगा उसका 5x मीशो क्रेडिट्स (meesho credit) देगा।
 अब आपका प्रश्न होगा यह मिशु क्रेडिट क्या है।  तो मीशो क्रेडिट एक तरह का मीशो मनी है, जिसे आप मीशो अप्प के अंदर कुछ भी खरीदने के लिए उपयोग कर सकते है। यहाँ मीशो क्रेडिट काम हो या अधिक किसी भी समय कितना भी मीशो क्रेडिट उपयोग कर सकते है।  जैसे अगर आपके पास 200 मीशो क्रेडिट है और आप 300 रुपये का कोई सामान खरीदना चाहते है तो 200 मीशो क्रेडिट+ 100 कॅश दे सकते है। वही अगर आपके प्रोडक्ट की कीमत 100 है तो आप सिर्फ मीशो क्रेडिट में से 100 देकर आर्डर कर सकते है।



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सबसे अच्छा एफिलिएट मार्केटिंग वेबसाइट कौन सा है? Sabse achcha affiliate marketing website. All in one affiliate website.

 आज के समय में एफिलिएट मार्केटिंग ऑनलाइन पैसे कमाने का एक बहुत अच्छा जरिया है।  कई सारे लोग जिनके पास ऑडियंस है,  affiliate marketing से अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं।
     पर दिक्कत तब आती है जब हर ई कॉमर्स वेबसाइट का एफिलिएट लिंक अलग से लेकर अपने ऑडियंस को देना पड़ता है।  और कई बार ऐसा भी हो जाता है जब कोई ई-कॉमर्स वेबसाइट से हमारा एफिलिएट अकाउंट सस्पेंड कर दिया जाता है या रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया जाता है तब हमें बहुत दिक्कत होती है अपने ऑडियंस को अभी लेट लिंक देने के लिए।
     तो इन सब दिक्कत से बचने के लिए आप एक वेबसाइट Earnkaro.com पर रजिस्टर कर सकते हैं या Earnkaro एंड्राइड अप्प  डाउनलोड कर सकते हैं।
इस वेबसाइट या अप्प पर आप  एफिलिएट मार्केटिंग के साथ साथ री सेलिंग कर के भी पैसे कमा सकते हैं।  अगर आपके पास कोई एफिलिएट अकाउंट नहीं है या तो फिर आप खुद के लिए कोई एक सामान भी खरीद रहे हैं तो बस earnkaro पर लिंक शार्ट करके खरीदे इससे आपको उस प्रोडक्ट का कमीशन मिल जाएगा।

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Gold carat क्या होता है? Carat gold Kya Hota Hai?

साधारण शब्दों में कहें तो, कैरेट सोने की शुद्धता का मापक है।  जहां 4 कैरेट गोल्ड सबसे शुद्ध सोन होता है।
 सोने की शुद्धता को मापने के लिए कैरेट शब्द का उपयोग किया जाता है जहां 24 karat सबसे शुद्ध सोना होता है। 24 कैरेट गोल्ड का मतलब है  कि उसमें सिर्फ सोना ही है कोई और धातु मिश्रित नहीं किया गया है।  पर 24 कैरेट का सोना  बहुत ही मुलायम होता है, इसलिए इसका उपयोग आभूषण बनाने के लिए नहीं किया जा सकता। और ऐसे में जब सोने के अंदर किसी और धातु को मिश्रित किया जाता है, तो इसकी शुद्धता कम हो जाती है और इसका कैरेट भी कम हो जाता है। 
अगर कोई आभूषण 12 कैरेट गोल्ड का बना है तो इसका मतलब है उसमें आधा सोना और आधा कोई और धातु मिश्रित किया गया है। वहीं अगर कोई  आभूषण 18 कैरेट गोल्ड का बना है तो उसमें 75% सोना है और  25% कोई और धातु मिश्रित किया गया है।  सोने को कठोर बनाने के लिए मिश्रित किए जाने वाले अन्य धातुओं में ज्यादातर उपयोग चांदी या  तांबे का  किया जाता है।
 
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अपने फोन में कॉल वेटिंग चालू या बंद कैसे करें? call waiting enable or disable kaise karen?

  हमारे फोन में कॉल वेटिंग का फीचर दिया होता है, जिसकी मदद से हम अगर किसी कॉल पर बात कर रहे होते हैं तो भी हमें पता चल जाता है कि कोई और हमें कॉल कर रहा है। लेकिन अगर कॉल वेटिंग बंद किया हुआ हो तो हमें पता नहीं चल पाता कि कोई और भी हमें, कॉल करते समय, कॉल कर रहा है। तो चलिए देखते हैं कैसे इसकी सेटिंग्स को चालू या बंद कर सकते हैं।

 call waiting settings  तक आप कहीं से भी पहुँच सकते हैं।
1. सेटिंग्स में जाकर सर्च कीजिये call setting

2. Dialer में जाकर मेनू पर क्लीक करे।

इसके बाद कॉल वेटिंग पर क्लिक करें

  ध्यान रहे कई सारे ब्रांड के फोन में आपको यह एडिशनल सेटिंग्स में मिलेगा।
Call waiting  मैं जाने के बाद, अगर आपके फोन में 2 सिम है, तो वहां आपको एक सिम चुनना होगा जिसमें आपको कॉल वेटिंग ऑन या ऑफ करना है। अगर आप दोनों में करना चाहते हैं तो एक की सेटिंग करने के बाद दूसरे में  ठीक उसी तरह से, दूसरे सिम को चुनकर कर सकते हैं।

 सिम चुन लेने के बाद आपके पास call waiting ऑन, ऑफ करने का ऑप्शन मिल जाएगा।


जहां से अगर आप इसे ऑन कर देते है  तो अब आप किसी और के कॉल को भी देख पाएंगे, किसी से कॉल करते समय, अगर कोई आपको कॉल कर रहा है तो।
 वहीं अगर आप इसे बंद कर देते हैं तो अगर आप किसी से बात कर रहे होंगे तो आपको किसी तरह का कोई भी अलर्ट नहीं आएगा अगर आपको कोई कॉल करता है तो।

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स्मार्टफोन के नेविगेशन बार मे प्रोब्लम हो या टूट गया हो तो फ्री में ये सलूशन अपनाये। Smartphone ke navigation bar mein problem ho ja tut gaya ho to free mein khud se Karen yah kam.

कई बार हमारे स्मार्टफोन के नेविगेशन बार में प्रॉब्लम आ जाता है या नेविगेशन बार टूट जाता है, तो हमें स्मार्टफोन उपयोग करने में बहुत परेशानी  होती है। जैसे नेविगेशन बार में बैक टच या बैक बटन काम नहीं करता तो हम किसी एप्लीकेशन से बैक नहीं जा पाते, वहीं अगर मेनू बटन काम नहीं करता तो भी दिक्कत आती है, और होम बटन खराब  हो जाए तो भी ऐसी ही दिक्कत आती है।
 तो ऐसे में हम स्मार्टफोन को लेकर उसे रिपेयर करवाने रिपेयरिंग शॉप पर जाते हैं, जहां हमें अच्छी खासी कीमत देनी होती है इसके रिपेयरिंग के लिए।
 लेकिन शायद आप यह नहीं जानते कि बस एक छोटा सा सॉफ्टवेयर की मदद से आप इसका सलूशन निकाल सकते हैं, और बिना उस पैनल के भी अपने फोन को बहुत ही आराम से उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए आपको एंड्राइड में गूगल प्ले स्टोर और iOS स्मार्टफोन में "navigation baar" सर्च करना है, जिसके बाद आपके पास कई सारे एप्लीकेशन आ जाते हैं जो बिल्कुल फ्री होते हैं, और इसके यूज़ से आप अपने स्क्रीन में ही एक नेविगेशन पैनल बना सकते हैं और बहुत ही आसानी से उसे यूज कर सकते हैं।
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मेटल बॉडी फ़ोन के ऊपर या नीचे कट आउट (जीन) क्यों होता है? क्या पूरा फोन मेटल का नहीं हो सकता? Metal body phones mein cutout kyon Diya hota hai? Kya pura phone metal body ka nahin ho sakta?

   फोन चाहे एंड्राइड हो या आईफोन आपने अक्सर देखा होगा, अगर कोई स्मार्टफोन मेटल बॉडी के साथ आता है तो उसके ऊपर या नीचे एक कटआउट देखने को मिलता है तो आखिर यह काट आउट  क्यों दिया होता है। क्या पूरा फोन मेटल बॉडी का नहीं हो सकता?
  तो इसका जवाब है नहीं। कोई भी फोन पूरा का पूरा मेटल बॉडी का नहीं हो सकता।  जैसा कि आप जानते होंगे किसी भी फोन में एक सिम कार्ड चिप लगा होता है जिसमें नेटवर्क का आना जाना होता है, जो कि एक दूरस्थ नेटवर्क से कनेक्ट कनेक्टेड होता है। और अगर हम अपना फोन पूरा मेटल का बना ले या कोई मेटल से किसी फोन को पूरा कवर कर दे, तो नेटवर्क का आना जाना नहीं हो पाएगा, और इससे हमें कॉल डिस्टरबेंस या नो नेटवर्क की प्रॉब्लम आती रहेगी। तो इसी को दूर करने के लिए अगर कोई मेटल बॉडी का फोन बनाया जाता है तो उसके ऊपर या नीचे नेटवर्क के लिए कटआउट छोड़ा जाता है।
 अगर हम बात करें ग्लास बैक या पॉलीकार्बोनेट या प्लास्टिक बॉडी वाले स्मार्टफोन की तो इसमें किसी तरह के कटआउट की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि सिग्नल इसमे आसानी से आर-पार कर पाता है।
आप चाहे तो एक प्रैक्टिकल करके देख सकते हैं। अपना फोन लीजिए उसे सिल्वर फाइल में अच्छे से लपेट दीजिए और थोड़ी देर छोड़ दीजिए। थोड़ी देर बाद आप देखेंगे वह फोन धीरे-धीरे गर्म होता जा रहा है क्योंकि वह फोन नेटवर्क को सर्च करता रहता है, और उसके आसपास नेटवर्क नहीं आ पाता चारों ओर मेटल होने की वजह से और वह फोन गर्म होने लगता है।

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WhatsApp status की यह सेटिंग्स जान ले फिर आप जिसे चाहेंगे सिर्फ उसे ही आपका स्टेटस दिखेगा। Yah WhatsApp status settings aapko jarur pata hona chahie।

 व्हाट्सएप आज पूरे विश्व में इंस्टेंट मैसेजिंग के तौर पर सबसे ज्यादा  उपयोग किए जाने वाला ऐप है। और जब से व्हाट्सएप में स्टेटस या स्टोरी का ऑप्शन आया है, तब से लगभग 75% से भी ज्यादा लोग अपना व्हाट्सएप स्टेटस हर एक से 2 दिनों में या हर दिन बदलते रहते हैं। लेकिन कई बार हम कुछ ऐसे व्हाट्सएप स्टेटस को रखना चाहते हैं, जो सिर्फ उसे ही दिखे जिसके लिए हमने वह स्टेटस रखा है तो ऐसे में आपको व्हाट्सएप स्टेटस कि यह सभी सेटिंग्स के बारे में पता होना चाहिए।
WhatsApp status settings  मैं जाने के लिए सबसे पहले व्हाट्सएप को ओपन करें। इसके बाद व्हाट्सएप में ऊपर दाहिने कोने में दिए गए थ्री डॉट्स पर क्लिक करें।

 इसके बाद जो मैन्यू खुलेगा उसमें से सेटिंग्स पर क्लिक करें।
 क्लिक करने के बाद आपके पास व्हाट्सएप का सेटिंग्स  खुल जाएगा इसमें से आपको accounts मैं जाना है।
 account settings मैं जाने के बाद आपको privacy पर क्लिक करना है।
 प्राइवेसी सैटिंग्स में आपको स्टेटस में जाना है।
 स्टेटस पर क्लिक करने के बाद आप देखेंगे आपके पास तीन ऑप्शन खुल कर आते हैं जहां
1.  My Contacts
2. My contacts except
3. Only shared with
होता है ।
1. इसमे से पहले से पहला ऑप्शन my contacts टिक किया हुआ होता है। जिसका मतलब है आप जो भी स्टेटस अपडेट करेंगे वे आपके सभी कॉन्टेक्ट्स देख पाएंगे जो ( जिनका नंबर ) आपके फ़ोन में सेव किया हुआ है।

2. My contacts except :- अगर आप इस ऑप्शन पर क्लिक  करते है तो आपके पास आपके व्हाट्सएप्प में कांटेक्ट लिस्ट खुलकर आ जायेगा, जिसमें से आपको उन कॉन्टेक्ट्स को सेलेक्ट करना होता है, जिन्हें आप अपना व्हाट्सएप स्टेटस नहीं दिखाना चाहते।  मतलब आप जो भी स्टेटस अपडेट करेंगे व्हाट्सएप में वाह इस लिस्ट में सिलेक्ट किए गए कॉन्टेक्ट्स को छोड़कर बाकी सभी कॉन्टेक्ट्स को दिखाई देगा।

3. Only shared with :- जब आप इस ऑप्शन पर क्लिक करेंगे तो फिर से आपके पास आपका व्हाट्सएप कांटेक्ट लिस्ट खुलकर आ जाएगा। पर इस बार आपको उन कॉन्टैक्ट्स को सेलेक्ट करना होगा जिन्हें सिर्फ आप अपना व्हाट्सएप स्टेटस दिखाना चाहते हैं।  मतलब आप जो भी कॉन्टैक्ट्स इस लिस्ट में सिलेक्ट करेंगे  सिर्फ उन्हें ही आपका व्हाट्सएप स्टेटस दिखाई देगा जब भी आप कुछ अपडेट करेंगे।


इस तरह आप इन तीनों सेटिंग्स की सहायता से जिसे चाहे उसे अपना व्हाट्सएप स्टेटस दिखा सकते हैं, और जिनसे चाहे उनसे अपना व्हाट्सएप स्टेटस छुपा सकते हैं।
 और एक बात ध्यान रखें एक बार व्हाट्सएप पर अपना स्टेटस अपडेट कर देने के बाद यह सेटिंग चेंज करने पर कोई फर्क नहीं पड़ता। जिस सेटिंग्स में आपने उस स्टेटस को अपडेट किया है उसी सेटिंग्स के साथ वह स्टेटस दिखाया जाता है।

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खोए हुए कांटेक्ट को वापस कैसे लाएं? गूगल कॉन्टैक्ट्स बैकअप और रिस्टोर कैसे करे? Khoye hue contacts ko wapas kaise laye? Google contacts backup or restore kaise karen?

   अगर किसी एंड्राइड फोन में कांटेक्ट को हमेशा के लिए सुरक्षित करके रखना है, तो इसके लिए सबसे बेहतर तरीका है, गूगल कांटेक्ट के अंदर उसका बै...