आपने कभी ध्यान दिया हो तो PhonePe, Google pay, paytm, Amazon, pepsi जैसी कई सारी कंपनिया समय-समय पर अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए जो नए-नए ऑफर्स या कॉन्टेस्ट लाती है उसके डिटेल में जाएंगे तो आप देखेंगे वह मेंशन रहता है कि यह आफर तमिलनाडु स्टेट में उपलब्ध नही है, "तमिलनाडु पुरस्कार योजना (निषेध) अधिनियम 1979" के कारण। तो यह पुरस्कार योजना (निषेध) अधिनियम क्या है और सिर्फ तमिलनाडु में ही क्यों है।
tamil nadu prize schemes (prohibition) act तमिलनाडु सरकार द्वारा पास किया गया एक अधिनियम है जिसे वर्ष 1979 में लाया गया था। इस अधिनियम के अनुसार कोई कंपनी, संगठन या व्यक्ति विशेष किसी प्रकार के उत्पादों की बिक्री पर कोई पुरस्कार नही दे सकता। इस अधिनियम के अनुसार तमिलनाडु के प्रदेश के अंदर किसी तरह का लॉटरी, आफर या प्राइज देना कानूनन अपराध है। अगर कोई इसका उलंघन करता है तो उसे 3 साल तक की सजा हो सकती है। ऐसी किसी भी तरह की स्कीम जिससे तुरंत बिना मेहनत के लाभ हो, तमिलनाडु में बंद किया गया है इस अधिनियम के तहत।
अब आपके दिमाग में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर इस अधिनियम की जरूरत क्यों और कब पड़ी? तो 1979 से पहले तमिलनाडु में बहुत सारे लोग ऐसे थे जिनको जुए की लत लग गयी थी। और वहाँ जुआ इतना ज्यादा बढ़ गया था के गरीब लोग जो अपना पेट भरने में सछम नही थे वे भी पैसे बचाकर जुए में लगते थे। इससे जुए खुलने वाले गरीब लोग और भी गरीब होते जा रहे थे और अमीर जो लॉटरी खेलवाते थे, और भी अमीर होते जा रहे थे। तब वहाँ के स्टेट गवर्मेंट के यह फैसला लेना पड़ा और यह अधिनियम पास कराया गया जो अब तक लागू है।
और जानकारी के लिए वीडियो देखें👇
tamil nadu prize schemes (prohibition) act तमिलनाडु सरकार द्वारा पास किया गया एक अधिनियम है जिसे वर्ष 1979 में लाया गया था। इस अधिनियम के अनुसार कोई कंपनी, संगठन या व्यक्ति विशेष किसी प्रकार के उत्पादों की बिक्री पर कोई पुरस्कार नही दे सकता। इस अधिनियम के अनुसार तमिलनाडु के प्रदेश के अंदर किसी तरह का लॉटरी, आफर या प्राइज देना कानूनन अपराध है। अगर कोई इसका उलंघन करता है तो उसे 3 साल तक की सजा हो सकती है। ऐसी किसी भी तरह की स्कीम जिससे तुरंत बिना मेहनत के लाभ हो, तमिलनाडु में बंद किया गया है इस अधिनियम के तहत।
अब आपके दिमाग में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर इस अधिनियम की जरूरत क्यों और कब पड़ी? तो 1979 से पहले तमिलनाडु में बहुत सारे लोग ऐसे थे जिनको जुए की लत लग गयी थी। और वहाँ जुआ इतना ज्यादा बढ़ गया था के गरीब लोग जो अपना पेट भरने में सछम नही थे वे भी पैसे बचाकर जुए में लगते थे। इससे जुए खुलने वाले गरीब लोग और भी गरीब होते जा रहे थे और अमीर जो लॉटरी खेलवाते थे, और भी अमीर होते जा रहे थे। तब वहाँ के स्टेट गवर्मेंट के यह फैसला लेना पड़ा और यह अधिनियम पास कराया गया जो अब तक लागू है।
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