Saturday, January 25, 2020

Dream 11, MPL या binary trading साइट्स पैसे कैसे कमाती है? Dream 11, MPL ya binary trading sites paise kaise kamati hai?


Dream 11, MPL या binary trading अपने यूजर के द्वारा ही पैसे कमाती हैं।  यहां यह लोग अपने प्लेटफार्म पर टूर्नामेंट, फैंटसी गेम या मैच प्रेडिक्शन (भविष्यवाणी) जैसे खेल अपने यूज़र को खेलने का मौका देते है। इन खेलो में बड़े-बड़े इनाम भी रखे जाते है, जो रैंकिंग के हिसाब से बांट दिया जाता है। लेकिन यूजर को इन खेलों में भाग लेने के लिए कुछ राशि जमा करनी होती है एंट्री फीस के नाम पर। और जो भी टोटल पैसा जमा होता है एंट्री फीस के नाम पर उसमे से ही इमाम दिया जाता है, और बचा हुआ पैसा इन अप्प्स और वेबसाइट की कमाई हो जाती है।
   जैसे समझ लेते हैं एक क्रिकेट मैच चल रहा है जिसमें किसी ऐप के अंदर प्रेडिक्शन गेम शुरू किया गया है, और इसमें इनाम दिया जाने वाला है 5 करोड रुपए का। और इसका एंट्री फीस ₹50 है।  अब अगर इस गेम को खेलने के लिए 20 से 25 लाख लोग भी एंट्री फीस जमा करते हैं तो यहां टोटल जमा राशि 12.5 करोड़ हो जाती है।  अब मैच खत्म होने पर जो भी रैंक के हिसाब से ऊपर आएंगे उनमें 5 करोड रुपए की राशि वितरित कर दी जाएगी और बचे हुए 7.5 करोड़ रुपए इस ऐप और वेबसाइट की कमाई हो जाएगी। इस तरह बैठे-बिठाए इन एप्स और वेबसाइट की अच्छी खासी कमाई हो जाती है। Dream11 मुख्यतः इसी तरीके से कमाता है।
    वहीं अगर बात करें MPL की तो  यहां भी कुछ इसी तरह से कमाई की जाती है या यहां 2 या 2 से अधिक लोग आपस में अलग-अलग तरह के गेम खेलते है।  यहां अगर दो लोग किसी एक गेम को खेल रहे हैं और दोनों ने 10-10 रुपये इस खेल में लगाए है, तो हारने वाले को तो कुछ नही मिलेगा पर जीतने वाले को ₹20 की जगह ₹16 ही दिया जाता है, और बचा हुआ ₹4 MPL की कमाई हो जाती है। ऐसे अगर MPL 1 लाख गेम खेलवा लेता है, तो उसे 4 लाख रुपए की कमाई हो जाती है।
    वही अगर बात करे binary trading apps या website की तो, इनके पैसे कमाने का भी लगभग वही तरीका है। जब कोई यूजर किसी चीज़ में पैसे लगता है, तो अगर ग्राफ नीचे जाता है, तो यूजर पैसे हर जाता है। लेकिन अगर ग्राफ ऊपर जाता है और इससे जब यूजर की कुछ कमाई होती है, तो वह ट्रेडिंग अप्प या वेबसाइट उसी कमाई में से अपना कुछ कमीसन काटकर उसे यूजर को पैसे दे देता है।
  
  कुल मिलाकर यह सारी एप्स और वेबसाइट अपने एक यूज़र से पैसे लेकर दूसरे यूजर को देती है, और इसमें खुद भी कम आती है।

हिंदी वीडियो में समझने के लिए नीचे देखें।👇

एंड्रॉयड अप्प्स के 5 सेटिंग्स जो सबको पता होना चाहिए। Android apps ke 5 Settings jo sabko pata hone chahiye.


आज ज्यादातर लोग एक एंड्रॉयड फोन उपयोग करते हैं। और इसमें ना जाने कितने ही ऐप्स इंस्टॉल करके रखते हैं, जिसमें से कई सारे ऐप्स हमें अनचाहे नोटिफिकेशन भेजकर परेशान करती है, तो वहीं कई सारे ऐप जिन्हें कोई डाटा यूज़ करने की जरूरत नहीं है, फिर भी वह ढेरों सारे डाटा को यूज करती हैं। कुछ एप्स हमें अपने फोन में पहले से ही इंस्टॉल करके मिलते हैं, जिन्हें हम हटा नहीं सकते और इनके नोटिफिकेशन हमें परेशान करते हैं। तो ऐसी स्थिति में आपको एंड्रॉयड फोन के एप्लीकेशन सेटिंग्स के बारे में पता होना चाहिए जिसके बाद आप इन सब परेशानी से बच सकते हैं, और अपने हिसाब से इन एप्स को कंट्रोल कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं एंड्रॉइड में अप्प्स के पांच सबसे महत्वपूर्ण सेटिंग्स के बारे में।
इसके लिए सबसे पहले आपको उस ऐप के सेटिंग तक पहुंचना होगा इसके लिए नीचे दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए आप वहाँ पहुंच सकते हैं:
1.  अपने स्मार्टफोन में सेटिंग्स ओपन करे।

2.  यहां आपको अप्प्स के अंदर जाना है।

3. इसके बाद मैनेज अप्प्स पर क्लिक करे।

4. यहाँ आपके पास उन सारी अप्प्स की लिस्ट आ जाएंगी जो भी अप्प्स या सॉफ्टवेयर आपके एंड्रॉयड फ़ोन में उपलब्ध है। यहां आप किसी अप्प को सीधे सर्च भी कर सकते है। यहां आप उस ऐप पर क्लिक करें जिस ऐप में आपको सेटिंग्स करनी है।

5.  उस एप पर क्लिक करते ही उस के सेटिंग्स के सारे ऑप्शन आपके सामने आ जाएंगे।

यहां तक पहुंचने के लिए कई सारे स्मार्टफोन में शॉर्टकट भी है। इसके लिए आपको Recent apps में जाना है। और जिस ऐप की सेटिंग करना चाहते हैं, उसे दबाकर रखना है। जिसके बाद आपके सामने कुछ ऑप्शन आ जाएंगे जिसमें से सेटिंग्स के आइकन पर आपको क्लिक करना है और आप सीधे इस ऐप की सेटिंग पर आ जाएंगे।

निम्न दिए गए चित्र के अनुसार:

1.  यहां से आप देख सकते हैं कि, आपने उस ऐप के लिए कौन-कौन सी परमिशन दे रखी है। और आप चाहे तो यहां से किसी परमिशन को बंद या चालू भी कर सकते हैं।
2.  यहां से आप उस ऐप के नोटिफिकेशन को बंद या चालू कर सकते हैं। साथ ही साथ आप यहां से सेटिंग कर सकते हैं कि उस एप के नोटिफिकेशन के समय वाइब्रेशन होना चाहिए या नहीं या नोटिफिकेशन लाइट आना चाहिए या नहीं।
3.  कई सारे ऐप ऐसे होते हैं जो बिना इंटरनेट डाटा को यूज किए ही काम कर सकते हैं। परंतु वह बहुत ज्यादा इंटरनेट डाटा को यूज करते हैं ऐसी स्थिति में आप यहां से उस ऐप के लिए डाटा यूज़ को चालू या बंद कर सकते हैं। यहां आप यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि वह अप्प किस तरह के डेटा को यूज़ करेगा। जैसे  वाईफाई डाटा को यूज़ कर सकता है या नहीं, मोबाइल सिम 1 डाटा को यूज कर सकता है या नहीं या मोबाइल में सिम 2 के डाटा को यूज कर सकता है या नहीं।
4.  यहां क्लिक करके आप उस एप्लीकेशन के सारे डेटा को इरेज़ ( डिलीट) कर सकते हैं। जैसे कई बार कई एप्लीकेशन ठीक से काम नहीं करते, तो ऐसी स्थिति में उसे अनइनस्टॉल करके वापस से इंस्टॉल करना होता है। तो ऐसी स्थिति में आप उसे एक बार डाटा क्लियर ऑल करके देख सकते हैं जिससे वह एप्लीकेशन बिल्कुल नए जैसी हो जाएगी और उसके सारे डेटा डिलीट हो जाएंगे।
5. अगर आप किसी एप्लीकेशन को अनइनस्टॉल नहीं कर सकते और ना ही उसे यूज करते हैं, तो उसे force stop कर सकते हैं। जिसके बाद जब तक आप उस एप्लीकेशन को एक बार नहीं खोल लेंगे, तब तक वह किसी तरह का कोई भी गतिविधि नहीं करेगी और ना ही फोन का मेमोरी यूज़ करेगी।
तो यही पांच ऐसे सेटिंग थे जो हर एक एंड्राइड यूजर को पता होना चाहिए।

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जामतारा साइबर क्राइम सिटी ऑफ इंडिया। जाने जामतारा के बारे में। Jamtara cyber crime capital city of India. Jane jamtara ke baare me.


जामतारा झारखंड राज्य के अंदर एक छोटा से जिला है, जो कुछ समय से साइबर क्राइम के लिए सुर्खियों में है। जामतारा को भारत का साइबर क्राइम हब या साइबर क्राइम की राजधानी मानी जाने लगी है। एक सर्वे के अनुसार पूरे भारत में होने वाले साइबर क्राइम का 80% जामतारा से या वहाँ के लोगों द्वारा किया जाता है।
यहाँ 2016 के बाद साइबर क्राइम में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। जब से भारत में नोटबन्दी हुई और लोग ज्यादा से ज्यादा ऑनलाइन आये और ऑनलाइन पेमेंट करने लगे तब से कॉल करके फ्रॉड करने का सिलसिला कुछ ज्यादा है बाद गया। यहां लोग ज्यादा पढ़े-लिखे भी नही है। पर कॉल करके पैसे ठगने मे इन्हें कोई परेशानी नही होती, क्योंकि आज भी 40% से 50% लोग ऐसे है जो इतने पढ़े-लिखे नही है पर उनके पास एक डेबिट कार्ड या कोई ऑनलाइन पेमेंट अप्प जैसे google pay, phonepe, paytm है। तो ऐसे लोगो के साथ ठग करके फ्रॉड करना इनके लिए आसान हो जाता है।
  जामतारा में लोगों ने फ्रॉड करके ऐसे-ऐसे घर बना लिए है के अगर कोई बाहर से वहाँ जाता है, तो देखकर आश्चर्यचकित रह जाता है कि ऐसे मकान तो शहरों में भी नहीं होते। हालांकि वहाँ की सरकारी सड़को की हालात उतनी अच्छी नही है, पर वहां गाओं में ऐसे घर मिलेंगे जैसे किसी सहर में हो।  इनकी जिंदगी और लाइफस्टाइल बिल्कुल रईसों की जैसी है, और यह सारे काम वे लोग इन्हीं फ्रॉड के पैसे से कर पाते है।
   समय-समय पर यहां पर पुलिस की छापेमारी भी की जाती है, और कई सारे लोग इसके लिए पकड़े भी गए हैं। परंतु यहां पर यह क्राइम इतना ज्यादा बढ़ गया है, कि दो पकड़े जाते हैं तो चार और सामने आ जाते हैं। और अब तो यह लोग पहले जो ग्रुप में करते थे, वे काम अकेले ही कर लेते हैं और कई सारे लोग अब जामतारा से निकलकर दिल्ली मुंबई और गुजरात जैसे शहरों में रहकर अपने काम को अंजाम दे रहे हैं।

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अपना पुराना फोन कहां बेचे? कहां मिलेगी बेस्ट प्राइसिंग? Apna purana phone kaha beche? Kahan milegi best pricing?


जब भी हम कोई नया फोन लेते हैं तो 6 महीने, 1 साल या डेढ़ साल में उसे चेंज करने का मन बना लेते हैं। क्योंकि 1 साल के अंदर ही स्मार्टफोन में कई तरह के बदलाव हो जाते हैं, और हमें लगने लगता है कि अब हमें एक नया फोन ले लेना चाहिए।  परंतु अब ऐसी स्थिति में अपने पुराने फोन को अच्छी कीमत पर बेच पाना बड़ी मुश्किल का काम हो जाता है।  फोन को बेचने के लिए वैसे तो कई विकल्प हैं, परंतु अगर हमें अपनी फोन की सही कीमत चाहिए तो इसके के लिए हमें थोड़ा रिसर्च करना होता है।
सबसे पहले तो हमारे पास हमारे फोन को बेचने के लिए मुख्यत 5 विकल्प हैं :
1. अपने आस-पास या किसी पहचान वाले को अपना फ़ोन बेच दे।
2. OLX, facebook marketplace जैसे साइट्स पर लिस्ट करे और किसी अनजान व्यक्ति से बात करके उन्हें बेच दे।
3. फ्लिपकार्ट, अमेज़न जैसे वेबसाइट पर फ़ोन खरीदते समय एक्सचेंजकर दे।
4. Cashify, PhoneCash साइट्स पर लिस्ट करके ऑनलाइन बेच दे।
5. अपने आस-पास किसी मोबाइलशॉप पर एक्सचेंज करले या उन्हें ही बेच दे।
अब इनमें से अगर आप अपने किसी पहचान वाले को अपना फोन देते हैं, और उसमें कोई प्रॉब्लम आ जाती है बाद में, तो वह उसके लिए आपको ही ब्लेम करेंगे। तो अपने पहचान वाले को देने के बाद थोडी परेशानी लेनी पड़ सकती है।
  वहीं अगर आप ओएलएक्स, फेसबुक जैसे साइट पर अपना फोन किसी अनजान को बेचते हैं, तो वहां आपको इतनी अच्छी कीमत नहीं मिल पाती। और बार-बार सब लोगों से बात करना पड़ता है,  इनके कॉल आते रहते हैं।
   अगर आप अपने पुराने फोन को फ्लिपकार्ट या अमेजॉन जैसे वेबसाइट पर एक्सचेंज करना चाहते हैं तो इसके लिए आपके फोन की पूरी वैल्यू नहीं मिल पाती। आपके फोन की जितनी कीमत मिलनी चाहिए उसकी आधी कीमत ही मिल पाती है।
    वही आप अगर चौथे और पांचवे ऑप्शन के साथ जाते हैं तो आपके फोन की अच्छी कीमत मिल सकती है।  जहां cashify या phonecash जैसे कई सारे अप्प्स और वेबसाइटस है, जो आपके फ़ोन की कीमत आपके पहले ही बता देते है। और यहां आपको लगभग अच्छी कीमत मिल जाती है।  और इसमें आपको किसी अनजान व्यक्ति से ना ही बात करने की जरूरत है, और ना ही फोन देने के बाद किसी तरह का कोई टेंशन लेने की जरूरत।
    वही पांचवा भी एक बहुत अच्छा विकल्प है। जहां पर कई बार आपको ऑनलाइन से भी बेहतर कीमत ऑफलाइन में मिल जाती है।
     अगर मैं अपने अनुभव से आपको बताऊं तो, सबसे पहले आप अपने आसपास के मोबाइल शॉप पर पता कर ले, कि आपके पुराने फोन की कितनी कीमत मिल रही है। इसके बाद आप Cashify और PhoneCash जैसे कुछ एप्लीकेशन पर अपने फोन की कीमत पता करें और जहां सबसे ज्यादा कीमत आपको मिलती हैं वही अपना फोन बेंचे।

हिंदी वीडियो में समझने के लिए यहां देखें।👇

Sunday, January 19, 2020

2020 के सबसे अच्छे रिसेलिंग एप्लिकेशन। घर बैठे पैसे कमाए। Best Reselling/Reseller apps in 2020 | earn money from home


2019 में रिसेलिंग करके कई सारे लोगो ने लाखो कमाए। और अब 2020 में Reselling और भी बढ़ने वाला है। क्योंकि लोगों को जहा वस्तुए सस्ती मिलती है, वही से खरीदना पसंद करते है। जहां एक ओर ई-कॉमर्स वेबसाइट किसी वस्तु को अपने प्लेटफार्म पर लिस्ट करने या बेचने के लिए कुछ कमीशन लेती हैं, वही रिसेलिंग एप्लीकेशन कोई कमीशन नहीं लेती। इस वजह से रिसेलिंग एप्लीकेशन अपने ग्राहकों को सस्ते दाम पर वस्तुएं दे कर पाती हैं।
आज भारत में लाखो लोग रिसेलिंग करके घर बैठे बिना किसी इन्वेस्टमेंट के 20 से 30 हज़ार रुपए महीना कमा रहे है। किसी भी व्यक्ति को reselling करने या Reseller बनने के लिए बस एक स्मार्टफोन, इंटरनेट और रिसेललिंग एप्लिकेशन होनी चाहिए।
अब स्मार्टफोन और इंटरनेट तो आपके पास है, तो चलिये हम आपको कुछ सबसे पॉपुलर रिसेलिंग एप्लिकेशन के बारे में बताते है।
यहा जो Reselling app जितना अच्छा है उसे उतनी ही अच्छी रैंकिंग दी गयी है:-
1) मीशो (meesho) :- मीशो रिसेलिंग में लगभग सबसे पहले आया था। और अब तक सबसे अच्छी सर्विस दे रहा है। चाहे प्रॉडक्ट क़्वालिटी की बात करे या प्रॉडक्ट प्राइसिंग की, कस्टमर सपोर्ट की बात करे या रेफरल प्रोग्राम की हर जगह मीशो टॉप पर आता है। यहा डाउनलोड करे👇
https://meesho.com/

2) ग्लोवरोड (GlowRoad) :- रिसेलिंग के लिए ग्लोवरोड दूसरा सबसे अच्छा एप्लिकेशन है। GlowRoad की एक सबसे अच्छी बात यह है, की यहा आपको किसी भी प्रॉडक्ट के लिए डेलिवरी या शिपिंग चार्ज नही देना होता चाहे वह प्रॉडक्ट 50 रुपये का हो, 100 रुपये का हो या 1000 रुपये का। वही अगर दूसरे अप्प्स में आप जाते है तो महँगे प्रोडक्ट पर आपको डेलिवरी चार्ज लगे या न लगे परंतु कम महँगे, 50-100 रुपये के प्रोडक्ट पर आपको डेलिवरी चार्ज जरूर लगाया जाता है। यहा डाउनलोड करे👇

3) शॉप101 (Shop101) :- तीसरे नम्बर पर सबसे अच्छा reselling अप्प शॉप101 है। shop101 में अब बहुत सारे प्रोडक्ट पर डेलिवरी चार्ज भी हटा दिया गया है, और प्रोडक्ट की प्राइसिंग भी काफी अच्छी है। यहा डाउनलोड करे👇

4) सेलटीएम (Selltm) :- Selltm पर आप प्रोडक्ट की reselling के साथ-साथ मोबाइल और डीटीएच रिचार्ज करके भी कमीशन काम सकते है। इस तरह सेलटीएम अप्प से आप Reselling और recharge कमीशन, दोनों कमा सकते है। यहा डाउनलोड करे👇

Reselling के लिए अगर आप इन चार अप्प्स पर ही काम करते है तो बहुत अच्छी कमाई कर सकते है। पर अगर आप और भी कुछ अप्प्स को देखना चाहते है, तो नीचे दिए गए अप्प्स को देख सकते है।👇




और जानकारी के लिए वीडियो देखे👇


Saturday, January 18, 2020

वाईफ़ाई कॉल या VoWifi क्या है? वाईफ़ाई कॉल्स कैसे काम करता है? Wi-Fi calls or VoWifi kya hai? Wifi calling kaise kaam karta hai?


जब से भारत में एयरटेल और जिओ की ओर से वाईफाई कॉलिंग की सुविधा लाई गई है। तब से लोग यह जानने के लिए उत्सुक हैं, कि वाईफाई कॉलिंग क्या है, और यह कैसे काम करता है। तो यहां आपको बताना चाहूंगा वाईफ़ाई कालिंग किसी से फोन कॉल के द्वारा कनेक्ट करने का एक दूसरा विकल्प है।  जिसमें अगर सेल्यूलर नेटवर्क उपलब्ध ना हो तो यूजर वाईफाई की मदद से कहीं भी कॉल कर सकता है।  इसके लिए यूजर के पास वाईफाई कॉलिंग सपोर्टेड स्मार्टफोन और वाईफाई कॉलिंग सर्विस प्रदान करने वाले ऑपरेटर कि सिम कार्ड और एक अच्छा ब्रॉडबैंड वाईफ़ाई होनी चाहिए।
इससे पहले हम किसी से फोन कॉल के द्वारा कनेक्ट होने के लिए सेल्यूलर नेटवर्क या वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (VoIP) को काम में लेते थे। (VoIP कॉल के कुछ उदाहरण है: व्हाट्सएप कॉल, फेसबुक मैसेंजर कॉल, skype call इत्यादि।) जहां अब एक और नई तकनीक वाईफाई कॉलिंग का ऑप्शन हमें धीरे-धीरे सभी फ़ोन के लिए मिलने लगा है।  अगर हम किसी को सेल्यूलर नेटवर्क के द्वारा कॉल करते हैं, तो हमारे फोन में सेल्यूलर नेटवर्क के लिए उपलब्ध राशि या एक्टिवेट प्लान होना चाहिए। वहीं अगर हम VoIP कॉल से किसी को कॉल करते हैं, तो हमारे पास हमारे फोन में डाटा बैलेंस या wifi कनेक्शन होना चाहिए। लेकिन अगर हम किसी को वाईफाई कॉलिंग के द्वारा कॉल करते हैं तो हमारे फोन में एक्टिवेट प्लान के अलावा एक अच्छी खासी Wi-Fi connection होनी चाहिए।  Wi-Fi calling को काम में लेने पर हमें किसी तरह का सेल्यूलर नेटवर्क चार्ज नहीं देना होता। क्योंकि हमारा फोन कॉल डाटा वाईफाई कनेक्शन के द्वारा ट्रांसफर की जाती है।
  पहले हमारे पास फ्री में कॉल करने के लिए VoIP कॉल की ही सुविधा उपलब्ध थी। जो कि इतनी अच्छी नहीं मानी जाती थी। क्योंकि VoIP कॉल में  बातचीत करते समय  बातचीत में आवाज थोड़ी देर बाद सुनाई देती है और इस से बातचीत में थोड़ी परेशानी होती है। इसलिए वॉइस कॉल को इतना ज्यादा पसंद नहीं किया जाता।  परंतु अगर अब हम वाईफाई कॉलिंग के द्वारा किसी को कॉल करते हैं तो इसके लिए हमें किसी तरह का अतिरिक्त शुल्क भी नहीं देना होगा और इसमें कॉल की क्वालिटी और भी ज्यादा अच्छी होगी।
    जैसा हमने आपको बताया Wi-Fi calling के लिए सपोर्टेड ऑपरेटर के सिम कार्ड और सपोर्टेड डिवाइस भी होना चाहिए। परंतु अभी के समय में सिर्फ एयरटेल और जियो ही वाईफाई की कॉलिंग की सुविधा दे रहे हैं। वहीं स्मार्टफोन डिवाइस की बात करें तो कुछ स्मार्टफोन ब्रांड ही अपने कुछ प्रीमियम स्मार्टफोन में वाईफाई कॉलिंग की सुविधा दे रहे हैं। हालांकि कि धीरे-धीरे वाईफाई कॉलिंग की सुविधा आपको माध्यम रेंज और लोवर प्राइस वाले स्मार्टफोन में भी जल्द ही देखने को मिलेंगे। वाईफ़ाई कॉलिंग की सुविधा किसी स्मार्टफोन में सॉफ्टवेयर अपडेट (OTA update) के जरिये भी दिया जा सकता है। अभी Apple, OnePlus, Samsung और Xiaomi के कुछ डिवाइस में वाईफ़ाई कॉलिंग की सुविधा दी गयी है।  जहां एक और स्मार्टफोन में धीरे-धीरे वाईफाई कॉलिंग की सुविधा दी जा रही है वहीं दूसरी ओर दूसरे टेलीकॉम ऑपरेटर जैसे आईडिया और वोडाफोन भी वाईफाई कॉलिंग की सुविधा देने पर विचार कर रहे हैं।  मतलब भविष्य में जल्द ही हमें लगभग सभी टेलीकॉम ऑपरेटर और सभी मोबाइल डिवाइस इस में वाईफाई कॉलिंग की सुविधा देखने को मिलेगी।

हिंदी वीडियो में समझने के लिए यह देखें।👇



घर बैठे कमाए ₹20,000 महीना रिचार्ज कमीशन और रिसेल्लिंग से। ghar baithe kamaye ₹20,000 mahina Recharge commissions aur Reselling se.


अगर आप घर बैठे बिना किसी इन्वेस्टमेंट के पैसे कमाना चाहते हैं, तो आपके लिए Selltm एक बहुत अच्छा जरिया हो सकता है। Selltm एप्प के अंदर आप मोबाइल या डाटा डीटीएच रिचार्ज करके कमीशन कमा सकते हैं, और वस्तुओं को रीसेल करके भी पैसे कमा सकते हैं। Selltm एप्प को आप गूगल प्ले स्टोर से बिल्कुल फ्री में डाऊनलोड कर सकते है इसके लिए नीचे लिंक दिया गया है।👇

  इस ऐप के अंदर आप जो कोई भी मोबाइल या डीटीएच रिचार्ज करेंगे उस हर रिचार्ज पर आपको कुछ ना कुछ कमीशन दिया जाएगा। यह कमीशन अलग-अलग ऑपरेटर के हिसाब से, अलग-अलग हो सकता है।  जहां एक ओर आप किसी दूसरे एप्लीकेशन से मोबाइल या डीटीएच रिचार्ज करते हैं, तो वहां आपको कभी-कभी कैशबैक मिलता होगा परंतु ज्यादातर समय आपको वहां कुछ भी कैशबैक या कमीशन नहीं मिलता। वहीं अगर आप यह रिचार्ज Selltm से करते हैं, तो आपको हर रिचार्ज पर एक निश्चित कमीशन मिलता है।
    वहीं इस ऐप के अंदर आप वस्तुओं को रीसेल करके भी पैसे कमा सकते हैं।  इसके लिए आपको एप्प में से उस वस्तु का चयन करना है जिसकी कीमत आपको लगता है कि किसी दूसरे इकॉमर्स प्लेटफार्म से कम है। और फिर इसमें अपना कुछ मार्जिन जोड़कर फेसबुक, व्हाट्सएप इंस्टाग्राम, ओएलएक्स जैसे एप्स के ऊपर शेयर करना है। और जब कोई व्यक्ति इन्हें देखकर ऑर्डर करना चाहता है, तो वह आपको मैसेज करता है। और आप उनका पता लेकर सेलटीएम ऐप के अंदर उनके नाम से आर्डर प्लेस कर देते हैं। इसके बाद सेलटीएम उस वस्तु को आपके ग्राहक तक डिलीवर कर देता है, और आप उसमें जो कुछ भी कमीशन ऐड करते हैं वह कमीशन आपके बैंक अकाउंट में भेज दिया जाता है।  इस तरह आप वस्तुओं को बिना अपने पास रखे हुए भी उसे सेल करते हैं और घर बैठे अच्छी खासी कमाई कर लेते हैं। आज भारत में लाखों लोग ऐसे हैं, जो प्रोडक्ट को रीसेल करके घर बैठे 20 से ₹30000 महीना आराम से कमा पा रहे हैं।
    तो आप भी आज से ही शुरु कीजिए अपना बिजनेस और घर बैठे विचार और प्रोडक्ट भी सेल करके कमाइए ढेर सारे पैसे। Selltm एप्प को डाऊनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें।👇

और बेहतर हिंदी वीडियो में समझने के लिए यह देखें👇



Sunday, January 12, 2020

सेलटीएम क्या है? सेलटीएम से पैसे कैसे कमाए? Selltm kya hai? Selltm se paise kaise kamaye?


सेलटीएम एक मोबाइल एप्लिकेशन है जिसके मदद से घर बैठे बिना किसी इन्वेस्टमेंट के पैसे कमाए जा सकते है।
अगर आप घर बैठे अपने स्मार्टफोन से ऑनलाइन पैसे कमाना चाहते हैं तो इसके लिए सेलटीएम आपके लिए एक बहुत अच्छा विकल्प होगा। Selltm app के  अंदर आप मोबाइल रिचार्ज, DTH रिचार्ज और Reselling करके पैसे कमा सकते हैं। इसके अलावा इस ऐप के अंदर आपको अपने ग्राहकों के उधार खाता को मैनेज करने का भी विकल्प दिया गया है।

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Selltm

      Selltm के अंदर पैसे कमाने का सबसे पहला तरीका है रिचार्ज कमीशन। जहा आप अगर सेलटीएम से कोई मोबाइल या DTH रिचार्ज करते है, तो आपको हर रिचार्ज पर कुछ कमीसन मिलता है। यहा रिचार्ज कमीसन अलग-अलग ऑपरेटर के हिसाब से अलग-अलग हो सकते है।

वही सेलटीएम में पैसे कमाने का दूसरा तरीका है रिसेललिंग (Reselling), जिसमे आपको अप्प में दिए गए वस्तुओ को फेसबुक, व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम, olx जैसे वेबसाइट पर शेयर करना होता है। और जब कोई उसे देखकर खरीदना चाहता है तो आपको उनका पता लेकर बस इस अप्प में उनके नाम से अपना एक मार्जिन रखकर आर्डर कर देना है। अब Selltm उस वस्तु को आपके कस्टमर तक पहुचाती है, और आपका कमीसन आपको आपके बैंक एकाउंट में भेज दिया जाता है।

इसके अलावा अगर आप अपने किसी फ्रेंड, फैमिली को इस ऐप में रेफर करते हैं, और अगर वह इसे ज्वाइन करके इस पर रिसेललिंग करते हैं, तो उनके द्वारा बेचे गए प्रोडक्ट के लिए भी आपको कुछ कमीशन मिलता है।

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https://r5at.app.link/WVjMIJzf52

आशा करता हूं आपको आपको सारी जानकारी मिल गई होगी। और सहायता के लिए नीचे वीडियो देखें👇


अब पेटीएम वॉलेट में बैलेंस ऐड करने के लिए लगेंगे एक्स्ट्रा लोडिंग चार्ज। Ab Paytm wallet mein balance add karne ke liye lagenge extra loading charge.


अभी तक अगर आप अपने पेटीएम वॉलेट में क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या ऑनलाइन बैंकिंग, यूपीआई के द्वारा पैसे ऐड करते थे, तो आपको किसी तरह का एक्स्ट्रा चार्ज नहीं देना होता था। परंतु 1 जनवरी 2020 के बाद अगर आप अपने किसी क्रेडिट कार्ड से 1 महीने के अंदर 10,000 से ज्यादा अपने पेटीएम वॉलेट में पैसे ऐड करते हैं तो, 10,000 से जितना भी ज्यादा अमाउंट आफ अपने पेटीएम वॉलेट में ऐड करेंगे उस पर आपको 2% extra loading charge देना होगा। मतलब अगर आपने 1 महीने के अंदर किसी क्रेडिट कार्ड से ₹10000 तक एड करते है, तो आपको कोई अतिरिकशुल्क नही देना होगा। परंतु अगर  ₹15000 पेटीएम वॉलेट में ऐड करते है तो 5000 के ऊपर 2%, और अगर आप ₹20000 एक महीने के अंदर पेटीएम वॉलेट में क्रेडिट कार्ड से ऐड करते हैं तो ₹10000 के ऊपर 2% चार्ज देना होगा।
हालांकि पेटीएम के द्वारा यह चार्ज पहली बात नहीं लगाया गया है। इससे पहले मार्च 2017 में पेटीएम ने क्रेडिट कार्ड से पैसे ऐड करने पर 2% चार्ज लगाया था, जिसे कुछ दिनों बाद हटा दिया गया था। और अब वापस से 2020 में वही चार्जेस लगाए जा रहे हैं। माना जाता है जब नोट बंदी हुई थी, तब पेटीएम अपने अंदर ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को जोड़ना चाहता था, इस वजह से उस समय यह चार्जेस हटा दिए गए थे।
     हालांकि पेटीएम का कहना है कि, क्रेडिट कार्ड के अनावश्यक उपयोग को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।  अक्सर लोग credit card से पैसे पेटीएम वॉलेट में ऐड करने के बाद उसे बैंक में ट्रांसफर कर लेते हैं, और वापस से क्रेडिट कार्ड का बिल का भुगतान करते हैं। तो वहीं कई सारे ग्राहक क्रेडिट कार्ड से Paytm wallet में पैसे ऐड करने के बाद उसे किसी को पेमेंट कर देते हैं, और उनसे पैसे ले लेते हैं और इस तरह क्रेडिट कार्ड का अनावश्यक यूज बढ़ता जा रहा था, जिसे रोकने के लिए पेटीएम ने यह कदम उठाया है।
      हालांकि अभी भी अगर आप डेबिट कार्ड, यूपीआई या इंटरनेट बैंकिंग से पेटीएम वॉलेट में कितने भी पैसे ऐड करते हैं, तो इसके लिए आपको कोई भी एक्स्ट्रा चार्ज नहीं देना होगा। यह चार्ज और लिमिट सिर्फ क्रेडिट कार्ड से पैसे ऐड करने के लिए लगाए गए हैं।
आशा करता हूं आपको सब कुछ समझा पाया हूं। और सहायता के लिए नीचे वीडियो देखें👇


जल्द मिलेगा सिओमी के फोन में नाविक का सपोर्ट। Jald milega xiaomi ke phone mein NaVIC ka support.


सिओमी हमेशा अपने ग्राहकों के लिए कुछ ना कुछ नया लाता ही रहता है। जैसे हाल ही में लांच हुए सिओमी के फ़ोन रेडमी नोट 8 में पहली बार इनबिल्ट Alexa का सपोर्ट देखने को मिला। इसके वजह से पहली बार यूज़र्स को किसी स्मार्टफोन में Alexa को यूज़ करने का मौका मिला।
और अब एक और कदम आगे बढ़ाकर सिओमी अपने इंडियन स्मार्टफोनके लिए, सबसे पहले Qualcomm के ओर से बनाये गए NaVIC (navigation with Indian constellation) सपोर्टेड चिपसेट को उपयोग करने वाला है। इसके लिए ISRO के साथ Xiaomi की बातचीत अंतिम चरण में है। अगर सब ठीक रहा तो जल्द ही हमे सिओमी के फ़ोन में NaVIC का सपोर्ट मिल जाएगा। और इसके साथ ही सिओमी दुनिया की पहली स्मार्टफोन कंपनी बन जाएगी जो अपने स्मार्टफोन में नाविक का सपोर्ट देगी।
      अगर आप navic के बारे में नही जानते तो navic  का एक दूसरा नाम IRNSS (Indian regional Navigation satellite system) भी है। और नाविक भारत के लिए GPS (Global positioning system) का एक विकल्प है। भारत की स्पेस एजेंसी इसरो के द्वारा भेजे गए 7 सैटेलाइट के द्वारा भारत के ऊपर नेविगेशन के लिए इसे काम में लिया जाता है।
      NaVIC को अगर भारतीय स्मार्टफोन में नेविगेशन के लिए काम में लिया जाता है तो इससे स्मार्टफोन में नेविगेशन का अनुभव और भी ज्यादा बेहतर और सटीक हो जाएगा। और भारत को navigation के लिए किसी और देश के सैटेलाइट पर निर्भर नही रहना पड़ेगा।
       परंतु NaVIC की एक कमी यह भी है कि, यह सिर्फ भारत या इसके आसपास के क्षेत्र के लिए ही काम में लिया जा सकता है अगर आप भारत या इसके आसपास के देशों से बाहर जाते हैं तो आपको वापस GPS पर ही निर्भर रहना होगा।  क्योंकि कोई भी व्यक्ति किसी स्मार्टफोन को लेकर अलग-अलग देशों में जाता रहता है और अगर सिर्फ फ़ोन में NaVIC का ही सपोर्ट मिले तो किसी और देश में नेविगेशन काम नही करेगा। तो यहाँ ये हो सकता है की सिओमी हमे फ़ोन में आपने हिसाब से एक समय पर दोनों में से किसी एक को उपयोग करने का विकल्प दे या, अगर हम भारत में फ़ोन को यूज़ करे तो नाविक पर चले परंतु जैसे ही किसी और देश में जाए अपने-आप ही GPS में बदल जाए।  तो अब देखना होगा कि सिओमी इसे किस तरह से अपने स्मार्टफोन में लेकर आता है।
आशा करता हूं आपको सब कुछ समझा पाया हूं। और सहायता के लिए नीचे वीडियो देखें👇

Sunday, January 5, 2020

बीटा टेस्टर या बीटा वर्जन क्या होता है? बीटा वर्जन अच्छा या खराब। Beta tester ja beta version kya hota hai? Beta version good or bad?

 कई सारे लोगों ने बीटा टेस्टर या बीटा वर्जन का नाम सुना है, परंतु वह इसके बारे में पूरी तरह नहीं जानते। तो आज के इस  पोस्ट में आपको आपके सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे।
  सबसे पहले हम समझते हैं, बीटा वर्जन क्या होता है। तो बीटा वर्जन किसी सॉफ्टवेयर का एक पूर्व वर्जन है जहां रिलीस करने से पहले उसे टेस्ट (चेक) किया जाता है।
  जब कोई सॉफ्टवेयर बनाया जाता है तो उसे सभी के लिए उपलब्ध कराने से पहले उस सॉफ्टवेयर का जांच परीक्षण किया जाता है कि इसके अंदर समाहित किए गए सारे फीचर ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं।  इसके लिए कुछ चुनिंदा लोगों को उस सॉफ्टवेयर को सेक्स करने के लिए दिया जाता है और इसी वर्जन को बीटा वर्जन कहते हैं। मतलब किसी सॉफ्टवेयर में किसी फीचर को रिलीज किए जाने से पहले उसका परीक्षण वाला वर्जन बीटा वर्जन कहलाता है।
  अब अगर आप बीटा वर्जन को समझ गए हैं, तो बीटा टेस्टर को भी बहुत आसानी से समझ जाएंगे। जहां हमने आपको बताया किसी सॉफ्टवेयर को रिलीज करने से पहले कुछ लोगों को इसे टेस्ट करने के लिए दिया जाता है, तो जिन लोगों को इसे टेस्ट करने के लिए दिया जाता है उन्हें बीटा टेस्टर कहते हैं।  मतलब अगर आप किसी सॉफ्टवेयर को रिलीज होने से पहले उसे चेक कर रहे हैं, तो आप भी एक तरह के बीटा टेस्टर हैं।
          अगर आप किसी भी तरह के ऐप्स स्टोर पर जाते हैं जैसे गूगल प्ले स्टोर पर तो आपको किसी एप के नीचे ज्वाइन बीटा का एक ऑप्शन देखने को मिलता है। अगर आप उसे ज्वाइन कर लेते हैं, तो उस ऐप के लिए जो भी बीटा अपडेट्स आएंगे वह पहले आपको दिए जाएंगे और बाद में सभी लोगों के लिए रिलीज किया जाएगा। यह जरूरी नहीं है कि एप्स स्टोर पर उपलब्ध सभी एप्लीकेशन के आपको बीटा वर्जन मिल जाएंगे।  जिस भी डेवलपर को अपने यूजर का फीडबैक चाहिए होता है सिर्फ वही डेवलपर बीटा वर्जन का ऑप्शन लाते हैं।  कई बार आपको बीटा वर्जन फुल का भी ऑप्शन देखने को मिलता है जिसका मतलब है की उस ऐप के लिए जितने भी बीटा टेस्टर चाहिए थे, उतने लोगों ने उसे ज्वाइन कर लिया है। और अब बीटा टेस्टर के लिए जगह खाली नहीं है।
           अब थोड़ा समझ लेते हैं कि बीटा वर्जन ज्वाइन करना अच्छा होता है या खराब।
 तो बीटा वर्जन ज्वाइन करने के कुछ फायदे हैं तो वहीं कुछ नुकसान भी। जहां एक और बीटा वर्जन ज्वाइन करने पर आपको उस ऐप के लिए आने वाले नए नए अपडेट सबसे पहले मिल जाते हैं। वहीं दूसरी ओर आपको उस बीटा वर्जन में आने वाले कई सारे बग का सामना करना पड़ता है। जब कोई ऐप बीटा वर्जन में होता है तो उसमें कई सारी दिक्कतें होती है जैसे कोई फंक्शन ठीक से काम नहीं करता या ऐसी ही के और दिक्कतें आ सकती है।
     ऐसा नहीं है कि आपको बीटा वर्जन सिर्फ गूगल प्ले स्टोर पर ही देखने को मिलेंगे। कई सारे कंपनियां कई सारे सॉफ्टवेयर बनाती हैं और इसके लिए वे बीटा टेस्टर ढूंढती हैं, और उन्हें इसके लिए पे भी करती हैं।  जैसे अगर आप विंडोस के लिए बेटा टेस्टर बनना चाहते हैं तो आप विंडोज इनसाइडर प्रोग्राम जॉइन कर सकते है।

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अनारक्षित रेल टिकट फ़ोन से कैसे बुक करे? UTS अप्प का उपयोग कैसे करे? Unreserved train ticket kaise book Karen? UTS app ka upyog kaise karen?

 आज अगर आपको भारतीय रेल में ऑनलाइन कोई आरक्षित टिकट बुक करना है, तो इसके लिए आपके पास कई सारे विकल्प आ जाते हैं जैसे आप सीधे आईआरसीटीसी के वेबसाइट पर जाकर टिकट बुक कर सकते हैं या किसी दूसरे जैसे पेटीएम गूगल पर इत्यादि के द्वारा आप रिजर्वेशन (आरक्षित) टिकट बुक कर सकते हैं। परंतु अगर आपको रेलवे के लिए एक अनारक्षित टिकट ऑनलाइन बुक करना है तो इसके लिए आपके पास एक ही विकल्प है, UTS मोबाइल एप्प। UTS सभी तरह के स्मार्टफोन के लिए उपलब्ध है जैसे यह एप्लीकेशन आपको गूगल प्ले स्टोर, एप्पल अप्प स्टोर और विंडोज़ स्टोर पर भी मिल जाता है। इसके उपयोग से आप बहुत ही आसानी से अपने स्मार्टफोन के द्वारा अनारक्षित टिकट कुछ ही मिनटों में प्राप्त कर सकते हैं।
   कई सारे शहर जहां रेलवे यातायात का एक मुख्य साधन है, वहां इस एप्लीकेशन का बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है। क्योंकि टिकट खिड़की से टिकट लेने में बहुत समय लग जाता है और अगर कोई व्यक्ति इस एप्लिकेशन का उपयोग करके टिकट बुक करता है, तो इसमें उसे समय की बचत होती है, और बिना लाइन में लगे टिकट प्राप्त कर सकता है। साथ ही साथ यह एप्लीकेशन आपको कुछ एक्स्ट्रा लाभ भी देता है जहां अगर आप इसमें एक सौ रुपए वॉलेट में ऐड करते हैं तो आपको ₹105 दिए जाते हैं।
   अब चलिए एक-एक करके इसके सारे फीचर को देखते हैं। और देखते है कैसे इसपर टिकट बुक कर सकते है।
         सबसे पहले  आपको इस ऐप को इंस्टॉल करके इसमें आपका एक अकाउंट बनाना होगा।  अकाउंट बनाने के लिए आपको आपका मोबाइल नंबर, जन्म तिथि देना होगा और एक पासवर्ड चुनना होगा। इसके बाद आपकी मोबाइल नंबर पर एक OTP भेजा जाएगा जिसे आप सबमिट करेंगे तो आपका अकाउंट बन जाएगा।

रजिस्टर करने के बाद जब आप अप्प को खोलेंगे तो आपके पास कई सारे ऑप्शन आ जाएंगे।  इसमें 1st ऑप्शन मैं जाकर आप अपने लिए टिकट बुक कर सकते हैं। वही 2nd ऑप्शन में आप बुक किये हुए टिकट को कैंसिल कर सकते है। 3rd में आप चेक कर सकते है कि कब और कहा के लिए आपने पहले को से टिकट बुक किये है। 4th ऑप्शन आपका अप्प वॉलेट है, जहा आप पैसे पहिले से ऐड करके रख सकते है टिकट बुकिंग के लिए। 5th ऑप्शन में आप अपने प्रोफाइल को देख और एडिट कर सकते है। 6th ऑप्शन में अगर आपने कोई टिकट बुक कर रखा है और वह अभी एक्टिव है तो आप उसे देख सकते है। और 7th और अंतिम ऑपशन में आपको अप्प रिलेटेड जानकारी और हेल्पलाइन नंबर मिल जाएंगे।

अब अगर आपको टिकट बुक करना है, तो आपको 1st ऑप्शन book ticket में जाना होगा। यहा आपको 5 ऑप्शन मिलते है जहां 1st में जाकर आप नार्मल टिकट बुक कर सकते है। 2nd में quick booking में जाकर आप अपने पुराने बुक किये हुए टिकट के आधार पर जल्दी से टिकट बुक कर पाएंगे। 3rd में जाकर आप प्लेटफॉर्म टिकट बुक कर सकते है। आमतौर पर प्लैटफॉर्म टिकट ₹10 के होते है। 4th ऑप्शन में आप season ticket या मंथली पास बना सकते है। 5th ऑप्शन में आप QR बेस्ड टिकट बुक कर सकते है। qr टिकट बुक करने के बाद आपको स्टेशन पर से qr कोड स्कैन करके टिकट लेना होता है। अब यहा से हम एक टिकट बुक करेंगे इसके लिए 1st ऑप्शन normal booking में जाना है।
यहा भी आपको दक ऑप्शन मिलेंगे 1st पेपरलेस टिकट बुकिंग और 2nd प्रिंटेड टिकट बुकिंग।
 अगर आप पहले ऑप्शन पेपरलेस टिकट बुकिंग में जाते हैं तो इसके लिए कुछ कंडीशन है।  paperless ticket booking के लिए आपको, जिस स्टेशन से टिकट बुक करना चाहते है , उसके 2km एरिया के अंदर और स्टेशन से 200m दूरी पर होना चाहिए। इससे ज्यादा या कम दूरी पर होने से आप पेपरलेस टिकट नही ले सकते। और पेपरलेस टिकट कैंसिल भी नही किया जा सकता।
इस स्थिति में आप प्रिंटेड टिकट बुक कर सकते है। इसके लिए आपको 2nd ऑप्शन पर जाना है। और फिर स्टेशन चुनना है कहाँ से कहाँ तक आप जान चाहते है।
स्टेशन चुन लेने के बाद जब आप done करेंगे तक आपको यहाँ ऑप्शन सेलेक्ट करना होगा । जहां आपको बताना होगा कितने लोगों के लिए टिकट चाहिए, कितने बच्चे साथ है, सिंगल जर्नी है या रिटर्न्स आना है इसी टिकट से, किस टाइप के ट्रैन के लिए आप टिकट बुक कर रहे है, कोनसे क्लास में सफर करेंगे, और पेमेंट कैसे करना चाहेंगे। पेमेंट के लिए आप internet banking, UPI इत्यादि को काम मे ले सकते है या आपके पास दूसरा ऑप्शन है R-Wallet।  अगर आप बार-बार इस एप के द्वारा टिकट बुक करते हैं तो आप आर वॉलेट में पैसे रख सकते हैं, जिसके बाद अगर आप कभी भी टिकट बुक करेंगे तो उस वॉलेट से ही पैसे कटेंगे और आपको ऑनलाइन बार-बार पेमेंट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।  यहां सब कुछ हो जाने के बाद ओके पर क्लिक करना है।
Ok पर क्लिक करते ही एक summary का पेज आ जायेगा । यहा सब डिटेल चेक कर लेने के बाद आपको Book Ticket पर क्लिक करके पेमेंट कर देना है, और बस आपका टिकट बुक हो गया।
अब आपको आपके रजिस्टर मोबाइल नंबर पर एक मैसेज आएगा जिसमे बुकिंग आईडी होगा।

आपको स्टेशन पर जाकर ATVM मशीन में मोबाइल टिकट पर क्लिक करके अपना रजिस्टर मोबाइल नम्बर और बुकिंग आईडी डालकर प्रिंट टिकट पर क्लिक करना है और आपको आपका टिकट प्रिंट होकर मिल जाएगा।

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पेपाल क्या है? PayPal kya hai?

PayPal दुनिया भर में उपयोग किया जाने वाला एक बहुत महत्वपूर्ण सर्विस है। इसी कारण बहुत सारे लोगों ने इसका नाम तो सुना है परंतु इसके बारे में अच्छे से नहीं जानते। तो चलिए आज के इस पोस्ट में हम जानते हैं पेपाल क्या है, और यह कैसे हमारे लिए उपयोगी है।
पेपाल, इंटरनेट पर एक ऐसी सेवा है जहाँ आप विश्व स्तर पर पैसे भेज या प्राप्त कर सकते हैं।  पेपाल आपको भुगतान करने, पैसे भेजने और भुगतान स्वीकार करने में सक्षम बनाता है।  अपने पेपैल खाते के साथ अपना क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड पंजीकृत करके आप देश या विदेश में कही भी पेमेंट कर सकते है। paypal जहां एक तरफ विश्वस्तरीय भुगतान के लिए सहायक है, वही दूसरी ओर हमारे बैंकिंग जानकारी जैसे क्रेडिट, कार्ड डेबिट कार्ड को सुरक्षित बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है। अगर हम पेपाल से कही भी पेमेंट करते है तो पैसे तो हमारे बैंक से कटते हैं, परंतु जहां हम पेमेंट करते हैं उस वेबसाइट को हमारे बैंक डिटेल, क्रेडिट, डेबिट कार्ड डिटेल्स नही पता चलता यह सारि डिटेल पेपाल तक ही सीमित रहती है।
आज अगर हमें किसी एक देश से दूसरे देश में पैसे भेजने हो या किसी दूसरे देश से पैसे रिसीव करने हो या कहीं और विदेश में किसी तरह का पेमेंट करना हो तो सबसे पहले हमारे दिमाग में पेपाल का ही नाम आता है।  क्योंकि अगर हम सीधे अपने बैंक अकाउंट से किसी दूसरे देश में पैसे भेजते हैं, तो सबसे पहले तो कई सारे बैंक यह सर्विस उपलब्ध नहीं कराते। वहीं कुछ बैंक वायर ट्रांसफर (wire transfer) की सर्विस देते हैं तो उसमें भी कई प्रकार का झंझट और फीस ज्यादा होता है।  इसलिए ज्यादातर लोग वैश्विक स्तर पर भुगतान करने या भुगतान प्राप्त करने के लिए पेपाल या वेस्टर्न यूनियन जैसे सर्विस का उपयोग करते हैं।
पेपाल पर अपना अकाउंट बनाना बहुत ही आसान है। इसके लिए बस आपको आपका एक ईमेल आईडी चाहिए होता है,  और पैसे रिसीव करने के लिए आपका एक बैंक डिटेल।  वहीं अगर आप पेपाल  के द्वारा पैसे भेजना चाहते हैं तो आपको पेपाल में आपके क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड की डिटेल भी भरनी होती है, जिसके द्वारा पैसे भेज सके।
 एक बार पेपाल में अकाउंट बना लेने के बाद अगर आपको कोई पैसे भेजना चाहता है या आप किसी को पेपाल के द्वारा पैसे भेजना चाहते हैं तो बस आपको पेपाल में रजिस्टर ईमेल आईडी शेयर करनी होती है। Paypal में रजिस्टर ईमेल  के द्वारा किसी को भी पैसे भेजें या रिसीव किए जा सकते हैं।
    वैसे तो इंटरनेट पर पेपाल के जैसे सर्विस देने वाले और भी कई वेबसाइट आपको मिल जाएंगे। परंतु, क्योंकि पेपाल सबसे पहले आया था, और यह अभी के समय बहुत ज्यादा सिक्योर और पॉपुलर है, इसलिए ज्यादातर पेपाल का ही उपयोग किया जाता है। पेपाल के जैसी सर्विस देने वाली कुछ और वेबसाइट है - western union, payoneer, skrill, wepay etc.

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स्पेक्ट्रम या स्पेक्ट्रम की नीलामी से क्या मतलब है? Spectrum or spectrum ki nilami se kya matlab hai?

कई  आर आपने सुना होगा की सरकार स्पेक्ट्रम नीलाम करने वाली है, या सुना होगा की इस टेलीकॉम कंपनी ने इतना स्पेक्ट्रम खरीद है। 2g, 3g और 4g स्पेक्ट्रम अब तक नीलाम किया गया है और अब सरकार 5g स्पेक्ट्रम नीलाम करने की तैयारी कर रही है। परंतु यह स्पेक्ट्रम या स्पेक्ट्रम की नीलामी होता क्या है? क्या स्पेक्ट्रम कोई चीज़, वस्तु या सर्विस है?
    तो स्पेक्ट्रम की नीलामी से पहले आप स्पेक्ट्रम को समझ ले।
    जैसा आप जानते होंगे हमारे आस-पास कई सारी डिवाइस है जो वायरलेस कनेक्टेड है और रेडियो वेब्स पर काम करती है जैसे टीवी, रिमोट, वाईफाई राऊटर, मोबाइल फोन, रेडियो इत्यादि। और जब भी कोई वायरलेस डिवाइस काम करता है तो वह अपना एक अलग रेडिओ वेब्स पर काम करता है। जैसे अगर हम रिमोट को काम में लेते है, तो वह एक अलग रेडियो वेब्स निकलता है जो उससे कनेक्टेड डिवाइस समझता है, वही सिर्फ रिस्पांड करता है। वही दूसरी ओर अगर एक वाईफाई राऊटर है तो वह अपना एक अलग रेडियो वेब्स निकलती है जो उससे कनेक्टेड डिवाइस समझते है। अगर इन सब डिवाइस को एक ही तरह के रेडियो वेब्स पर काम करने को रखा जाए तो सभी रेडियो वेब्स आपस में टकरा जाएंगी और हमारे डिवाइस ठीक से काम नही कर पाएंगे।
    कुछ ऐसे ही अगर कोई रेडियो चैनल, टीवी चैनल या मोबाइल नेटवर्क को काम करने के लिए अलग-अलग रेडियो वेब्स पर काम करना होता है। तो रेडियो वेब्स को के एक प्रकार को स्पेक्ट्रम कह सकते है। और जो भी रेडियो, टीवी या टेलीकॉम कंपनिया इस रेडियो वेब्स (स्पेक्ट्रम) का उपयोग करती है उन्हें सरकार को इसके लिए पैसे देने होते है।
    और जब कोई नई टेक्नोलॉजी आती है जैसे 2g के बाद 3g उसके बाद 4g और अब आने वाला है 5g तो इसमे स्पेक्ट्रम रेडिसन ज्यादा होती है, और उस नेटवर्क पर काम करने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को उसका लाइसेंस लेना होता है, जिसे स्पेक्ट्रम की नीलामी कहते है। यहाँ जो कंपनी जितना ज्यादा पैसा सरकार को दे पति है उसे उतना ही ज्यादा स्पेक्ट्रम या कहे तो रेडियो वेब्स की जगह दी जाती है।

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गूगल सर्च कैसे काम करता है? Google search kaise kam karta hai?

आज गूगल पर हर घंटे, हर मिनट, हर सेकंड न जाने कितनी ही चीज़े सर्च मि जाती है। और गूगल हर सर्च का रिजल्ट एक सेकंड से भी कम समय में लाखो की संख्या में दे देता है। और वह भी हर किसी के लिए गूगल उनके जरूरत और लोकेशन के हिसाब से रिजल्ट दिखाता है। लेकिन क्या कभी आपने सोच है की गूगल सर्च के पीछे क्या कुछ काम होता है? कैसे गूगल इतने कम समय में इतना सटीक रिजल्ट दे देता है?  तो चलिए आज जानते है गूगल सर्च के पीछे क्या और कैसे काम होता है।
      सबसे पहले आप यह जान ले की गूगल हमारे सर्च करने के बाद जाकर पूरे इंटरनेट पर नही ढूंढता। गूगल के पास बहुत बड़ा सर्वर है जिसमे इंटरनेट पर उपलब्ध दुनियाभर के लगभग सभी अप्प, वेबसाइट का डेटा जमा होता है। और गूगल के रोबोट्स जिन्हें स्पाइडर भी कहते है, हर समय पूरी दुनिया के वेबसाइटों पर जाकर चेक करते रहते है और अगर किसी वेबसाइट पर कोई जानकारी जोड़ी जाती है या कोई नया वेबसाइट बनाया जाता है तो ये स्पाइडर अपने सर्वर में उसे अपडेट करते रहते है।
      जिसके बाद अगर हम गूगल पर जाकर कुछ भी सर्च करते है तो गूगल अपने सर्वर के डाटाबेस में से जानकारी निकलकर हमारे सामने प्रस्तुत करता है। परंतु यह भी इतनी आसानी से नही होता, जब कोई गूगल पर सर्च करता है तो यहां गूगल उस हर एक रिजल्ट को दिखाने के लिए लगभग दो सौ से भी अधिक फैक्टर (गुनको) को चेक करता है। सबसे पहले तो यह चेक किया जाता है की जो सर्च किया गया है वह किस स्थान से किया गया है और उस स्थान पर उसे वर्ड का क्या मतलब है। उसके बाद जिस किसी ने इसे सर्च किया है इससे पहले उसने क्या कुछ सर्च किया था। फिर और कई चीज़े गूगल चेक करता है जैसे जो सर्च रिजल्ट में दिखाया जाने वाला है उसमे कोई स्पैम चीज़े तक नही है, वह वेबसाइट कितने लोग विजिट करते है, उस वेबसाइट पर लोग कितना टाइम स्पेंड करते है, उस वेबसाइट के कितने बैकलिंक है, कितने सारे वेबसाइटस ने उस वेबसाइट को रेफेर किया है, सर्च किया गया कीवर्ड उस वेबसाइट के टाइटल और पोस्ट में कितनी बार आता है, किस वेबसाइट को पहले और किसे बाद में दिखाना है इत्यादि। और इतना सबकुछ एक सेकंड से भी कम समय में गूगल के चेक करके यूजर को रिजल्ट दे देता है।

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सर्च इंजन क्या होता है? सर्च इंजन और वेब ब्राउज़र में क्या अंतर है? Sachin Mane kya hota hai? Search engine or web browser mein kya antar hai?


हम हर दिन ना जाने कितने ही सवालों के जवाब सर्च इंजन पर ढूंढते रहते हैं, लेकिन अगर हमें अचानक से कोई पूछ ले की सर्च इंजन क्या होता है तो इसका जवाब देने में हमें थोड़ी तो हिचकिचाहट होती है।  वहीं कुछ लोग सर्च इंजन और वेब ब्राउज़र को एक ही समझ लेते है, परंतु ये दोनों बहुत अलग है।  तो चलिए आज समझ लेते हैं सर्च इंजन क्या होता है और सर्च इंजन किस तरह ब्राउज़र से अलग है।
        सर्च इंजन इंटरनेट पर  उपयोग किया जाने वाला एक बहुत महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर है, जो किसी यूजर को उनके खोज के अनुसार इंटरनेट पर मौजूद डेटाबेस में से परिणाम दिखाता है। इसके कुछ उदाहरण है - गूगल, बिंग, याहू (Google, Bing, Yahoo) इत्यादि।  आज हम जो कुछ भी इंटरनेट पर सर्च करते हैं वह सब कुछ एक सर्च इंजन के द्वारा ही सर्च किया जाता है, चाहे वह सर्च इंजन गूगल, बिंग, याहू, यन्डेक्स या कोई और हो।
  आज अगर हमारे पास कोई सर्च इंजन ना हो और हमें इंटरनेट से किसी तरह की जानकारी लेनी हो तो यह बहुत कठिन हो जाएगा। जहां पर हमें किसी भी वेबसाइट को विजिट करने के लिए उसका पूरा URL टाइप करना होगा और अगर हम किसी वेबसाइट का URL नहीं जानते तो उसे नहीं ढूंढ पाएंगे, ना ही हम किसी नए वेबसाइट के बारे में जान पाएंगे।  आज अगर हमें किसी भी चीज के बारे में सर्च करना हो, तो हम किसी सर्च इंजन के ऊपर जाकर उसे सर्च करते हैं, और सर्च इंजन हमें उस कीवर्ड से मिलता जुलता लगभग लाखों वेबसाइट दिखा देता है जहां हमारे द्वारा सर्च किए गए कीवर्ड के बारे में सारी जानकारी मिल जाती है।  इसे हमे कुछ ऐसे भी समझ सकते है की हमे अगर facebook पर जाना है तो हम गुगल या किसी और सर्च इंजन पर जाकर सर्च करते है facebook और हमे facebook की वेबसाइट, facebook page, twitter handel और facebook कंपनी के बारे में पूरी जानकारी मिल जाती है। वही अगर हमारे पास कोई सर्च इंजन न हो तो हमे फेसबुक पर जाने के लिए उसका पूरा URL https//www.facebook.com ब्राउज़र में टाइप करना होगा। और इसपर भी हमे फेसबुक कंपनी के बारे में जानने के लिए किसी और वेबसाइट पर भी जाना होगा उसका भी URL टाइप करके।
   वहीं कुछ लोग सर्च इंजन और वेब ब्राउज़र को कई बार एक समझ लेते हैं, परंतु इन दोनों में बहुत अंतर है। जैसा हमने आपको बताया सर्च इंजन हमारे द्वारा सर्च किए गए किसी भी खोज का परिणाम दिखाता है, परंतु उस दिखाए गए परिणाम में से अगर हमे किसी वेबसाइट को देखना है (विजिट करना है) तो इसके लिए हमे एक वेब ब्राउज़र की आवश्यकता पड़ेगी। जैसे अगर हम सीधे गूगल पर जाकर कुछ सर्च करते है तो, गूगल जब हमे सर्च रिजल्ट दिखता है, तो उसमे से अगर हम किसी वेबसाइट के लिंक पर क्लिक करते है तो वह वेबसाइट किसी ब्राउज़र में जाकर खुलता है।
   मतलब सारांश यह है की पूरी दुनियाभर में जो कुछ भी इंटरनेट पर उपलब्ध है उसे अगर ढूंढना है तो एक सर्च इंजन की आवश्यक्ता होती है, वही इंटरनेट पर उपलब्ध किसी भी वेबसाइट या कंटेंट को देखने के लिए एक वेब ब्राउज़र की आवश्यकता होती है।
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खोए हुए कांटेक्ट को वापस कैसे लाएं? गूगल कॉन्टैक्ट्स बैकअप और रिस्टोर कैसे करे? Khoye hue contacts ko wapas kaise laye? Google contacts backup or restore kaise karen?

   अगर किसी एंड्राइड फोन में कांटेक्ट को हमेशा के लिए सुरक्षित करके रखना है, तो इसके लिए सबसे बेहतर तरीका है, गूगल कांटेक्ट के अंदर उसका बै...