कई सारे लोगों ने बीटा टेस्टर या बीटा वर्जन का नाम सुना है, परंतु वह इसके बारे में पूरी तरह नहीं जानते। तो आज के इस पोस्ट में आपको आपके सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे।
सबसे पहले हम समझते हैं, बीटा वर्जन क्या होता है। तो बीटा वर्जन किसी सॉफ्टवेयर का एक पूर्व वर्जन है जहां रिलीस करने से पहले उसे टेस्ट (चेक) किया जाता है।
जब कोई सॉफ्टवेयर बनाया जाता है तो उसे सभी के लिए उपलब्ध कराने से पहले उस सॉफ्टवेयर का जांच परीक्षण किया जाता है कि इसके अंदर समाहित किए गए सारे फीचर ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं। इसके लिए कुछ चुनिंदा लोगों को उस सॉफ्टवेयर को सेक्स करने के लिए दिया जाता है और इसी वर्जन को बीटा वर्जन कहते हैं। मतलब किसी सॉफ्टवेयर में किसी फीचर को रिलीज किए जाने से पहले उसका परीक्षण वाला वर्जन बीटा वर्जन कहलाता है।
अब अगर आप बीटा वर्जन को समझ गए हैं, तो बीटा टेस्टर को भी बहुत आसानी से समझ जाएंगे। जहां हमने आपको बताया किसी सॉफ्टवेयर को रिलीज करने से पहले कुछ लोगों को इसे टेस्ट करने के लिए दिया जाता है, तो जिन लोगों को इसे टेस्ट करने के लिए दिया जाता है उन्हें बीटा टेस्टर कहते हैं। मतलब अगर आप किसी सॉफ्टवेयर को रिलीज होने से पहले उसे चेक कर रहे हैं, तो आप भी एक तरह के बीटा टेस्टर हैं।
अगर आप किसी भी तरह के ऐप्स स्टोर पर जाते हैं जैसे गूगल प्ले स्टोर पर तो आपको किसी एप के नीचे ज्वाइन बीटा का एक ऑप्शन देखने को मिलता है। अगर आप उसे ज्वाइन कर लेते हैं, तो उस ऐप के लिए जो भी बीटा अपडेट्स आएंगे वह पहले आपको दिए जाएंगे और बाद में सभी लोगों के लिए रिलीज किया जाएगा। यह जरूरी नहीं है कि एप्स स्टोर पर उपलब्ध सभी एप्लीकेशन के आपको बीटा वर्जन मिल जाएंगे। जिस भी डेवलपर को अपने यूजर का फीडबैक चाहिए होता है सिर्फ वही डेवलपर बीटा वर्जन का ऑप्शन लाते हैं। कई बार आपको बीटा वर्जन फुल का भी ऑप्शन देखने को मिलता है जिसका मतलब है की उस ऐप के लिए जितने भी बीटा टेस्टर चाहिए थे, उतने लोगों ने उसे ज्वाइन कर लिया है। और अब बीटा टेस्टर के लिए जगह खाली नहीं है।
अब थोड़ा समझ लेते हैं कि बीटा वर्जन ज्वाइन करना अच्छा होता है या खराब।
तो बीटा वर्जन ज्वाइन करने के कुछ फायदे हैं तो वहीं कुछ नुकसान भी। जहां एक और बीटा वर्जन ज्वाइन करने पर आपको उस ऐप के लिए आने वाले नए नए अपडेट सबसे पहले मिल जाते हैं। वहीं दूसरी ओर आपको उस बीटा वर्जन में आने वाले कई सारे बग का सामना करना पड़ता है। जब कोई ऐप बीटा वर्जन में होता है तो उसमें कई सारी दिक्कतें होती है जैसे कोई फंक्शन ठीक से काम नहीं करता या ऐसी ही के और दिक्कतें आ सकती है।
ऐसा नहीं है कि आपको बीटा वर्जन सिर्फ गूगल प्ले स्टोर पर ही देखने को मिलेंगे। कई सारे कंपनियां कई सारे सॉफ्टवेयर बनाती हैं और इसके लिए वे बीटा टेस्टर ढूंढती हैं, और उन्हें इसके लिए पे भी करती हैं। जैसे अगर आप विंडोस के लिए बेटा टेस्टर बनना चाहते हैं तो आप विंडोज इनसाइडर प्रोग्राम जॉइन कर सकते है।
आशा करता हूं आप के सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होंगे। और सहायता के लिए नीचे वीडियो देखें।👇
सबसे पहले हम समझते हैं, बीटा वर्जन क्या होता है। तो बीटा वर्जन किसी सॉफ्टवेयर का एक पूर्व वर्जन है जहां रिलीस करने से पहले उसे टेस्ट (चेक) किया जाता है।
जब कोई सॉफ्टवेयर बनाया जाता है तो उसे सभी के लिए उपलब्ध कराने से पहले उस सॉफ्टवेयर का जांच परीक्षण किया जाता है कि इसके अंदर समाहित किए गए सारे फीचर ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं। इसके लिए कुछ चुनिंदा लोगों को उस सॉफ्टवेयर को सेक्स करने के लिए दिया जाता है और इसी वर्जन को बीटा वर्जन कहते हैं। मतलब किसी सॉफ्टवेयर में किसी फीचर को रिलीज किए जाने से पहले उसका परीक्षण वाला वर्जन बीटा वर्जन कहलाता है।
अब अगर आप बीटा वर्जन को समझ गए हैं, तो बीटा टेस्टर को भी बहुत आसानी से समझ जाएंगे। जहां हमने आपको बताया किसी सॉफ्टवेयर को रिलीज करने से पहले कुछ लोगों को इसे टेस्ट करने के लिए दिया जाता है, तो जिन लोगों को इसे टेस्ट करने के लिए दिया जाता है उन्हें बीटा टेस्टर कहते हैं। मतलब अगर आप किसी सॉफ्टवेयर को रिलीज होने से पहले उसे चेक कर रहे हैं, तो आप भी एक तरह के बीटा टेस्टर हैं।
अगर आप किसी भी तरह के ऐप्स स्टोर पर जाते हैं जैसे गूगल प्ले स्टोर पर तो आपको किसी एप के नीचे ज्वाइन बीटा का एक ऑप्शन देखने को मिलता है। अगर आप उसे ज्वाइन कर लेते हैं, तो उस ऐप के लिए जो भी बीटा अपडेट्स आएंगे वह पहले आपको दिए जाएंगे और बाद में सभी लोगों के लिए रिलीज किया जाएगा। यह जरूरी नहीं है कि एप्स स्टोर पर उपलब्ध सभी एप्लीकेशन के आपको बीटा वर्जन मिल जाएंगे। जिस भी डेवलपर को अपने यूजर का फीडबैक चाहिए होता है सिर्फ वही डेवलपर बीटा वर्जन का ऑप्शन लाते हैं। कई बार आपको बीटा वर्जन फुल का भी ऑप्शन देखने को मिलता है जिसका मतलब है की उस ऐप के लिए जितने भी बीटा टेस्टर चाहिए थे, उतने लोगों ने उसे ज्वाइन कर लिया है। और अब बीटा टेस्टर के लिए जगह खाली नहीं है।
अब थोड़ा समझ लेते हैं कि बीटा वर्जन ज्वाइन करना अच्छा होता है या खराब।
तो बीटा वर्जन ज्वाइन करने के कुछ फायदे हैं तो वहीं कुछ नुकसान भी। जहां एक और बीटा वर्जन ज्वाइन करने पर आपको उस ऐप के लिए आने वाले नए नए अपडेट सबसे पहले मिल जाते हैं। वहीं दूसरी ओर आपको उस बीटा वर्जन में आने वाले कई सारे बग का सामना करना पड़ता है। जब कोई ऐप बीटा वर्जन में होता है तो उसमें कई सारी दिक्कतें होती है जैसे कोई फंक्शन ठीक से काम नहीं करता या ऐसी ही के और दिक्कतें आ सकती है।
ऐसा नहीं है कि आपको बीटा वर्जन सिर्फ गूगल प्ले स्टोर पर ही देखने को मिलेंगे। कई सारे कंपनियां कई सारे सॉफ्टवेयर बनाती हैं और इसके लिए वे बीटा टेस्टर ढूंढती हैं, और उन्हें इसके लिए पे भी करती हैं। जैसे अगर आप विंडोस के लिए बेटा टेस्टर बनना चाहते हैं तो आप विंडोज इनसाइडर प्रोग्राम जॉइन कर सकते है।
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