कई सारे लोग जो किसी एप्लीकेशन के नए फीचर को आने से पहले ही यूज़ करना चाहते हैं, वह उस एप का बीटा वर्जन यूज करते हैं। बीटा वर्जन में किसी भी नए फीचर को पहले दे दिया जाता है टेस्ट करने के लिए और बाकी सभी को यह नया फीचर बाद में दिया जाता है।
तो अगर आप भी एंड्राइड में किसी एप का बीटा वर्जन यूज करते हैं, तो यहां आपके लिए एक छोटा सा एप्लीकेशन बहुत उपयोगी हो सकता है, जिसका नाम है Beta maniac.
एंड्रॉइड में बीटा अप्प्स को मैनेज करने के लिए यह बहुत उपयोगी हो सकता है। इस अप्प का उपयोग करके आप अपने फोन में किसी भी ऐप का बीटा एक ही जगह से ज्वाइन कर सकते हैं, या छोड़ सकते हैं। इस ऐप के अंदर ही आपको बता दिया जाएगा कि आपके फोन में मौजूदा एप्स में से कौन-कौन से ऐप्स में बीटा वर्जन उपलब्ध है, और किसे आपने जॉइन कर रखा है।
कैसे डाउनलोड करना है, और कैसे उपयोग करना है, जानने के लिए नीचे वीडियो देखें।👇
Digilocker में दो तरह के डॉक्यूमेंट देखने को मिलते है, एक uploded documents और दूसरा issued documents। तो लोग यहां कंफ्यूज़ होते है की कोनसा डाक्यूमेंट्स कहाँ उपयोग में लाया जा सकता है, और कोनसा कहाँ मान्य नही होगा।
तो डिजिलॉकर अप्प में अगर कोई दस्तावेज किसी सरकारी एजेंसी से जारी कराए गए हैं, तो यह सब जगह वैध माने जाएंगे। वही अगर कोई दस्तावेज आपने उस अप्प में खुद से डाला है (upload किया है) तो यह सिर्फ आपके लिए है, और यह हर जगह मान्य नही होगा।
अब जैसे अगर आप कहीं बाहर गए है गाड़ी लेकर और आपने गाड़ी के पेपर व ड्राइविंग लाइसेंस नही लिया है। और अब ऐसे में अगर आपसे गाड़ी के पेपर व ड्राइविंग लाइसेंस पूछे जाते है, तो आप डिजिलॉकर में पड़े दस्तावेज दिखा सककते है। परंतु ये दस्तावेज तभी वैध माने जाएंगे जब ये issued documents में होंगे। अगर आप uploded documents में से ये दस्तावेज दिखाते है तो वैध नही माने जाएंगे, और आपको फाइन भी देना पैड सकता है।
डिजिलॉकर में डाक्यूमेंट्स उपलोड करने का विकल्प इसलिए दिया गया है, ताकि आप अपने किसी और तरह के डॉक्यूमेंट, जो डिजिलॉकर में कहीं से जारी नही कराये जा सकते, को अपलोड करके रख सके। और अगर आपको भविष्य में कभी जरूरत पड़े तो आप यहाँ से निकालकर या प्रिंट लेकर इसका उपयोग कर सके।
आपने बचपन में अक्षांश और देशांतर रेखाओं (latitude and longitude) के बारे में पढ़ा होगा, परंतु क्या आप जानते हैं अक्षांश और देशांतर रेखाओं की मदद से आप मैप्स में किसी का पता कैसे ढूंढ सकते हैं?
अक्षांश और देशांतर रेखाओं की मदद से आप किसी मैप के अंदर किसी को अपना पता भेज सकते हैं और किसी और का पता आप इन रेखाओं की मदद से ही ले सकते हैं। अगर आप किसी ऐसे जगह पर खड़े हो जहां के बारे में आपको पता नहीं है, तो आप ऐसे में अक्षांश और देशांतर रेखाओं की मदद से उस जगह का पता निकाल सकते हैं। हमने इसे गूगल मैप्स के अंदर उपयोग किया है, परंतु आप किसी और मैप का भी उपयोग कर सकते हैं।
सबसे पहले आप मैप को खोल लीजिए, और फिर उसमे उस जगह पर थोड़े लंबे समय तक दबाकर रखें जहां का पता आपको निकालना है, या जहां पर आप खड़े हो।
थोड़े लंबे समय तक दबाकर रखने पर आप देखेंगे वहां आपको एक लाल कलर का आइकन दिखाई देगा और नीचे आपको dropped pin लिखा हुआ दिखेगा। अब आपको यहां dropped pin पर एक बार क्लिक करना है।
क्लिक करने के बाद आप देखेंगे आपको यहां उस जगह का पता दिखाई देगा और थोड़ा नीचे देखेंगे तो आपको यहां उस जगह का अक्षांश और देशांतर रेखाओं का मान्य दिखाई देगा।
अब अगर आप एक बार उच्च अक्षांश और देशांतर रेखाओं के माननीय पर क्लिक करते हैं, तो यह आपके क्लिक बोर्ड में कॉपी हो जाएगा और फिर आप इसे जहां चाहे जैसे चाहे शेयर कर सकते हैं। जिसके बाद अगर कोई इसे अपने मैप में पेस्ट करके सर्च करता है, तो उसे बिल्कुल सटीक उसी जगह का पता दिखाई देगा।
वीडियो के माध्यम से और बेहतर समझने के लिए यहां देखें।👇
आज अगर आपको आपका फ़ोन रिचार्ज करना है तो आपके पास के सारे विकल्प के सारे अप्प है। यहां फेसबुक, पेटीएम, फोन पे, गूगल पे, बैंकिंग अप्प्स और वेबसाइट जैसे कई जगह पे आपको रिचार्ज करने या बिल पेमेंट करने का विकल्प मिल जाता है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है, हमे इतने सारे जगहों पर रिचार्ज का विकल्प क्यों मिलता है, और इनके द्वारा रिचार्ज करने पर इनको क्या फायदा होता है! तो चलिए जानते है।
तो इसका मुख्य कारण है कमीशन। जब भी हम किसी एप या वेबसाइट के द्वारा अपना मोबाइल रिचार्ज करते हैं, तो हम जिस ऑपरेटर का नंबर रिचार्ज करते हैं, उस ऑपरेटर के द्वारा हम जिस ऐप या वेबसाइट के द्वारा रिचार्ज करते हैं, उसे कुछ तय कमीशन दिया जाता है। जैसे अगर हम पेटीएम के द्वारा एक एयरटेल का नंबर रिचार्ज करते है, तो यहां एयरटेल के तरफ से पेटीएम को कुछ कमीशन मिलता है। यह कमीशन प्रतिसत में तय होता है, और अलग-अलग सिम ऑपरेटर की ओर से अलग-अलग कमीशन तय होता है।
इस तरह जब भी हम किसी अप्प या वेबसाइट से रिचार्ज करते है तो वहां उन्हें कमाई होती है, और जितने ज्यादा पैसो का रिचार्ज करते है उतने ही ज्यादा कमीशन मिलता है। और इसलिए हमे कई अप्प और वेबसाइट में रिचार्ज का विकल्प मिलता है।
अगर आप चाहे तो ऐसा अपना खुद का अप्प या वेबसाइट बनाकर खुद भी पैसे कमा सकते है। इसके लिए आपको अपने अप्प या वेबसाइट में रिचार्ज API जोड़ना होगा। रिचार्ज API देने वाले आपको कई सारे मिल जाएंगे इसके लिए आप ऑनलाइन सर्च कर सकते है। और पहले इसके लिए आपको कुछ पैसे देने होंगे।
गूगल प्ले स्टोर पर भी आपको कुछ अप्प्स मिल जाएंगे जो रिचार्ज कमीशन देते है। अगर आप इन अप्प्स का उपयोग करेंगे तो आपको हर रिचार्ज पर कुछ कमीशन मिलेगा। हालांकि यह कमीशन कुछ काम होगा। क्योंकि ये अप्प्स ऑपरेटर से मिलने वाले कमीशन में से कुछ खुद रख लेते है तो कुछ आपको देते है।
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आज हमारे फ़ोन की सुरक्षा के लिए कई सारे स्क्रीन लॉक उपलब्ध है, जैसे पिन, पैटर्न, पासवर्ड, फिंगरप्रिंट, फेस लॉक इत्यादि। परंतु क्या कभी आपने सोच है, इनमे से लॉकिंग सिस्टम सबसे ज्यादा सुरक्षित है और कोनसा सबसे कमजोर?
यहां अगर हम बात करते है पिन, पैटर्न या पासवर्ड की तो ये फिंगरप्रिंट या फेस लॉक से काफ़ी ज्यादा सुरक्षित है। और इनमे से भी पिन और पासवर्ड सबसे ज्यादा सुरक्षित है। कुछ परिस्थितियों में देखा गया है, की पैटर्न लॉक को बाईपास किया जा सकता है, पर पिन और पासवर्ड को नही।
वही अगर फेस अनलॉक की बात करे तो एंड्राइड का फेस लॉक सिस्टम फिंगरप्रिंट से भी बेकार है। क्योंकि यह सिर्फ सामने के कैमरे में आपको देखकर फ़ोन को अनलॉक कर देता है। कई बार एंड्राइड फेस लॉक को सिर्फ फ़ोटो दिखाकर ही बाईपास किया जा सकता है, इसके कई सबूत आपको यूट्यूब वीडियो में मिल जाएंगे। एंड्राइड के मुकाबले iOS एप्पल के स्मार्टफोन में फेस अनलॉक काफ़ी ज्यादा सिक्योर होता है। क्योंकि वहां फेस को पढ़ने के लिए अलग से हार्डवेयर लगा होता है।
अगर हम फिंगरप्रिंट को देखे तो यह सिक्योर भी है और आसान भी। फिंगरप्रिंट लॉक को बाईपास करने के लिए वहां आपके फिंगर को होना आवश्यक है। कई बार फिंगरप्रिंट की प्रति बनाकर या आपके नींद में आपके अंगुलियों का उपयोग करके इसे बाईपास किया जा सकता है, परंतु यह सब करना इतना आसान नही होता।
अंत में सारांश यह है की, अगर आपके फोन की सिक्योरिटी आपके लिए ज्यादा मायने रखती है तो, आप पासवर्ड या पिन लॉक का उपयोग करे। इसके बाद पैटर्न लॉक फिर फिंगरप्रिंट और अंत में फेस लॉक सुरक्षित लॉकिंग सिस्टम है।
यूट्यूब तो आप भी देखते होंगे। यूट्यूब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सर्च इंजन है, और इसके कई सारे डेली एक्टिव यूजर हैं। लेकिन आपको क्या लगता है यूट्यूब फ्री है या इसे देखने के लिए आप उन्हें पैसे देते हैं?
यूट्यूब पर कोई भी व्यक्ति जाकर वीडियो देख सकता है, परंतु वीडियो देखने के साथ ही उसे कुछ विज्ञापन के दिखाए जाते हैं। अगर कोई व्यक्ति चाहे तो यूट्यूब की प्रीमियम सर्विस लेकर बिना विज्ञापन के भी यूट्यूब पर वीडियो देख सकता है। अगर कोई व्यक्ति यूट्यूब का प्रीमियम सब्सक्रिप्शन लेता है तो, वह यूट्यूब को सीधे तौर पर पैसे देता है। लेकिन वहीं अगर कोई व्यक्ति यूट्यूब को बिना कोई पैसे दिए उस पर वीडियो देखता है तो वह भी यूट्यूब को पैसे देता है परंतु परोक्ष रूप से। जैसे अगर आप और हम यूट्यूब पर वीडियो देखने जाते हैं, तो इसके लिए हमें अपने पैसों से अपना फोन रिचार्ज करके उसमें डाटा भरवाना पड़ता है। या तो फिर हम वाईफाई का उपयोग करके वीडियो देखते हैं जिसके लिए भी हमें पैसे देने होते हैं। तो यहां पर हम खुद के पैसे लगाकर यूट्यूब पर जाकर, यूट्यूब के द्वारा दिए गए विज्ञापन को देखते हैं, जिससे यूट्यूब हमारे द्वारा विज्ञापन से पैसे कमाता है। इस तरह हम अप्रत्यक्ष रूप से यूट्यूब को पैसे देते हैं।
और जैसा कि हम जानते हैं यूट्यूब पर हर दिन कई सारे लोग वीडियो देखने आते हैं, और जितना ज्यादा लोग इस पर वीडियो देखने आते हैं, उतने ही ज्यादा विज्ञापन दिखाए जाते हैं। और यूट्यूब को उतना ही ज्यादा इससे कमाई होता है। वैसे तो गूगल कभी यूट्यूब की कमाई अलग से नहीं दिखाता परंतु माना जाता है कि गूगल की सारी कमाई में से 3% से 5% कमाई सिर्फ यूट्यूब से आती है। वैसे गूगल का पूरा रेवेन्यू मॉडल एडवर्टाइजमेंट पर ही टिका है। यूट्यूब को जितना कमाई यूट्यूब प्रीमियम से नही होता उससे कई गुना ज्यादा एडवर्टाइजमेंट से ही होता है।
और बेहतर हिंदी वीडियो में जानने के लिए नीचे देखें।👇
गूगल साइट गूगल की एक सर्विस है जहां यूजर अपने लिए वेबसाइट या पेज गूगल के सर्वर पर बिल्कुल फ्री में बना सकता है। इसके लिए आपको sites.google.com पर जाना होगा। यहां आप बिना किसी जानकारी के भी बहुत आसानी से वेबसाइट बना सकते हैं।
गूगल साइट का उपयोग ज्यादातर लोग गूगल पर विज्ञापन के लिए ही करते हैं। गूगल साइट और गूगल एड्स की मदद से आप घर बैठे पैसे भी कमा सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति को गूगल पर विज्ञापन दिखाना है, परंतु उसके पास अगर कोई वेबसाइट नहीं है, तो वह गूगल साइट पर जाकर एक पेज या वेबसाइट बनाकर उसके जरिए गूगल पर विज्ञापन करके अपना प्रोडक्ट लोगों तक पहुंचा सकता है।
Google site पर वेबसाइट या पेज बनाना बहुत ही आसान है। इसके लिए आपको कोडिंग की भी आवश्यकता नहीं है, बस आप यहां ड्रैग एंड ड्रॉप करके भी एक बहुत सुंदर पेज या वेबसाइट बना सकते हैं। वैसे अगर आप ब्लॉग वगैरा लिखना चाहते हैं, तो गूगल का ही एक और प्रोडक्ट है ब्लॉगर। जिस पर आप फ्री में ब्लॉक लिख सकते हैं, और उस पर विज्ञापन दिखाकर पैसे भी कमा सकते हैं। परंतु ब्लॉगर जल्दी सर्च रिजल्ट में नहीं आता। वही गूगल साइट के वेबसाइट या पेज सर्च रिजल्ट में जल्दी आते हैं। पर गूगल साइट के वेबसाइट या पेज पर आप विज्ञापन दिखाकर पैसे नहीं कमा सकते।
गूगल साइट के बारे में और जानने के लिए नीचे हिंदी वीडियो देखें।👇
आज से अगर हम कुछ सालों पीछे जाते हैं, तो जब जीमेल नहीं था तब कई सारे ईमेल सर्विस देने वाली कंपनियां थी। परंतु आज ईमेल सर्विस देने के मामले में जीमेल सबसे आगे है और बाकी कंपनियां दूर-दूर तक जीमेल के आसपास भी नहीं है। पर आज भी कई सारी ईमेल सर्विस देने वाली कंपनियां है, जिसे आप जीमेल के विकल्प में उपयोग कर सकते हैं। जीमेल के बाद अधिक उपयोग और पसंद किए जाने वाले कुछ फ्री और ईमेल सर्विस निम्न है :-
1. Outlook, Hotmail, live :- आउटलुक, हॉटमेल, लाइव ये सभी ईमेल सर्विसेज माइक्रोसॉफ्ट की ओर से दी जाती है। इनमें से आप जैसा चाहे वैसा ईमेल बना सकते है, जैसे : xyz@outlook.com, xyz@Hotmail.com, xyz@live.com । इनमें से भी सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला आउटलुक है।
2. Yahoo :- याहू मेल को भी काफी उपयोग किया जाता है। इसे बहुत सिक्योर भी माना जाता है। वैसे अगर आप याहू के साइट पर जाएंगे तो यह आपको एक न्यूज़ वेबसाइट के जैसा लगेगा। पर याहू की ईमेल सर्विस भी बहुत अच्छी है, जिसे आप जीमेल के विकल्प में उपयोग कर सकते है।
3. Zoho :- ज़ोहो मूल्य आधारित ईमेल औऱ फ्री ईमेल दोनो ही सर्विसेज देता है, जहां अगर आप ग्रुप ईमेल, प्रमोशनल ईमेल, कस्टम ईमेल लेते है, तो इसके लिए आपको पैसे देने होंगे। पर अगर आप अगर सिर्फ ज़ोहो के बेसिक ईमेल सर्विस का उपयोग करना चाहते है तो इसके लिए आपको कोई पैसे नही देने, यह बिल्कुल फ्री है।
4. yandex :- वैसे तो यांडेक्स रुस में बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है। पर अगर आप इसके ईमेल सर्विस को जीमेल के विकल्प के रूप में उपयोग करना चाहे तो कोई दिक्कत नही होगी।
आज हम आपको बताने वाले हैं, कि आप कैसे एक ही समय में, एक ईयरफोन में दो अलग-अलग गाने एक साथ चला सकते हैं।
इसके लिए आपको एंड्राइड में गूगल प्ले स्टोर से और आईओएस में एप्पल एप स्टोर से एक एप्लीकेशन डाउनलोड करना होगा जिसका नाम है Split cloud । स्प्लिट क्लाउड अप्प की मदद से आप एक ही समय में, एक इयरफोन से, एक साथ दो अलग-अलग गाने चला सकते हैं। यह एक बिल्कुल फ्री एप्लीकेशन है मतलब इसके लिए आपको कोई पैसे भी नहीं देने। और इसका होम पेज भी बहुत साफ-साफ है, जिसे आप देखकर बहुत आसानी से समझ सकते हैं। यहां आपको दो तरह के अलग अलग गाने एक साथ प्ले करने का ऑप्शन दिया जाएगा। जहां एक गाना बाई ओर बजेगा वही दूसरा गाना दाहिनी ओर वाले ईयर फोन में बजेगा।
इसका उपयोग आप अपने हिसाब से अलग अलग समय पर कर सकते हैं। जैसे अगर आप दो दोस्त एक साथ कहीं जा रहे हैं और आपके पास एक ही ईयर फोन है और आप दोनों अलग-अलग गाने एक साथ सुनना चाहते हैं तो इस समय यह एप्लीकेशन आपके बहुत काम आ सकता है।
और डिटेल में वीडियो के द्वारा समझने के लिए नीचे देखें।👇
हाल के कुछ दिनों से व्हाट्सएप की लोकप्रियता कम हो रही है। इसका कारण है यूज़र का डेटा लीक या हैक होना। और अब लोग व्हाट्सएप के दूसरे वैकल्पिक ऐप्प की ओर देख रहे है। तो चलिए आज आपको बताते है व्हाट्सएप्प के बाद सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले लोकप्रिय अप्प्स। इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप के बहुत सारे हैं, लेकिन व्हाट्सएप का कुल मार्केट शेयर अन्य सभी एप्लिकेशन के संयुक्त बाजार शेयर से अधिक है। यहाँ व्हाट्सएप के कुछ लोकप्रिय इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप विकल्प दिए गए हैं:-
1. Telegram :- टेलीग्राम का उपयोग दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। और इसे व्हाट्सएप्प के मुकाबले बहुत ज्यादा सिक्योर और सुरक्षित बताया गया है। और के टेलीग्राम व्हाट्सएप के बाद सबसे ज्यादा यूज़र्स है इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप में से।
2. Hike :- हाईक मेसेजिंग भारत के अंदर उपयोग किया जाने वाला एक बहुत लोकप्रिय इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप है। और इस अप्प में भारत के यूजर के लिए कुछ मुख्य फीचर भी दिए गए है। तो अगर आप भारत के अंदर रहते हैं, और व्हाट्सएप के वैकल्पिक ऐप को ढूंढ रहे हैं, तो आप हाइक मैसेजिंग को यूज कर सकते हैं।
3. facebook messenger :- जैसा कि आप जानते हैं सोशल मीडिया एप्स में से फेसबुक को बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है। फेसबुक का यूजर बेस बहुत बड़ा है, इसलिए फेसबुक के साथ आने वाला फेसबुक मैसेंजर इंस्टेंट मैसेजिंग एप के रूप में बहुत ज्यादा पॉपुलर है।
4. Snapchat :- एक समय में स्नैपचैट बहुत ज्यादा पॉपुलर था कुछ वर्गों के लिए। परंतु बीच में धीरे-धीरे यह इतना ज्यादा पसंद नहीं किया जाने लगा। और अब बाद में फिर से स्नैपचैट धीरे धीरे यूजर को भा रहा है, और इसके यूजर भी बढ़ते जा रहे हैं। स्नैपचैट के अंदर तरह-तरह के फिल्टर और इमोजी मिलते हैं, जो यूजर को बहुत लुभाते हैं। तो अगर आप व्हाट्सएप के जगह पर कोई और ऐप यूज करना चाहते हैं तो एक बार आप स्नैपचैट को भी देख सकते हैं।
5. viber :- वाइबर का इंटरफ़ेस, व्हाट्सएप से बहुत मिलता-जुलता है। तो अगर आप व्हाट्सएप्प से वाइबर में जाते है, तो आपको ज्यादा कुछ अलग नही लगेगा। और अगर आपके ज्यादा दोस्त वाइबर पर है तो आप बिना किसी के हिचक से इसे व्हाट्सएप्प के जगह पर उपयोग कर सकते है।
6. WeChat :- वीचैट चीन के अंदर बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है, परंतु चीन के बाहर इसका उपयोग बहुत कम ही होता है। लेकिन फिर भी वीचैट आपके लिए व्हाट्सएप्प के वैकल्पिक के रूप में एक काफी अच्छा अप्प हो सकता है।
7. Line messaging :- लाइन मेसेजिंग का भी हाल कुछ वीचैट के जैसा ही है। और इसका इंटरफ़ेस कुछ वाइबर से मिलता-जुलता है। तो आप इसे भी व्हाट्सएप वैकल्पिक इंस्टेंट मैसेजिंग एप के रूप में उपयोग कर सकते है।
8. imo :- एक समय में आईएमओ (इमो) और टैंगो को उपयोग काफी किया जाता था, जब तक व्हाट्सएप्प और फेसबुक मैसेंजर में वीडियो कालिंग का विकल्प नही आया था। लेकिन आज भी आप आईएमओ (इमो) और टैंगो को का उपयोग इंस्टेंट मैसेजिंग के लिए कर सकते है।
QR code और barcode दोनो ही एक तरह के कोड है जिसमे मशीनों के द्वारा पढ़े जाने योग्य डेटा को संग्रहित किया जाता है।
जहां क्यूआर कोड एक ओपन सोर्स सिस्टम है जिसे कोई भी यूज़ कर सकता है। यहां QR code का मतलब है quick response code. एक क्यूआर कोड के अंदर 7089 अंक या 4296 अक्षर जमा किये जा सकते है। जबकि बारकोड में सिर्फ 12 अंक ही जमा किए जा सकते।
क्यूआर कोड का उपयोग आपने कई जगह पर देखा होगा। जैसे पेमेंट रिसीव करने के लिए क्यूआर कोड का उपयोग करके पेमेंट लिंक बनाया जाता है। कई सारे खुदरा बेचे जाने वाले वस्तुओं के पैकेट पर आपको क्यूआर कोड देखने को मिलता है जिसे स्कैन करके आप उसके अंदर छिपे जानकारी को प्राप्त कर सकते हैं।
क्यूआर कोड को आप अपने दैनिक जीवन में भी उपयोग में ला सकते हैं। जैसे अगर आपको आपके किसी वेबसाइट का यूआरएल बार-बार किसी को बताना पड़ता है, तो आप इसे एक्यूआर कोर्ट में डालकर रख सकते हैं। जिसके बाद अगर कोई उस क्यूआर कोड को स्कैन करेगा तो, वह सीधे आपके वेबसाइट तक पहुंच जाएगा। इसके अलावा वाईफाई पासवर्ड या ऐसे कई और चीजों का भी qr-code बनाया जा सकता है।
वहीं अगर हम बात करें बारकोड की तो, बारकोड ज्यादातर बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने वस्तुओं में इसे प्रिंट करती है। आज अगर आप कोई भी वस्तु खरीदते हैं चाहे वह तेल, साबुन, बिस्किट, चिप्स, कोल्ड ड्रिंक या कोई और भी वस्तु हो तो, आपको उस पर बारकोड देखने को मिलता है। तो यह बारकोड इसलिए लगाया जाता है ताकि उस वस्तु की गिनती, देखरेख और बिक्री में आसानी लाई जा सके।
छोटे-मोटे दुकानों पर तो किसी वस्तु की गिनती व देखरेख में ज्यादा दिक्कत नहीं आती। परंतु अगर हम बात करते हैं बड़े-बड़े वेयरहाउस या मॉल की तो वहां इन वस्तुओं को बहुत ज्यादा मात्रा में रखा जाता है जिसके लिए बारकोड कोड बहुत उपयोगी होता है। अगर किसी वस्तु पर बारकोड ना लगाया जाए तो बार-बार उसे गिन कर रखना होगा और कितने बीके है और कितने बचे है इसका हिसाब रखना भी मुश्किल हो जाएगा। बारकोड लगाने से इसका हिसाब रखना बहुत आसान हो जाता है। जब भी कोई वस्तु बेची जाती है, तब उसे इस बार कोड के जरिए स्कैन किया जाता है, और इससे पता चल जाता है, कि वह वस्तु कितनी बेची जा चुकी है, और कितनी बची है।
वीडियो के माध्यम से और बेहतरीन समझने के लिए नीचे देखें।👇
आपने भी कई बार सोचा होगा की बैंक भला पैसे कैसे कमाते हैं! जो भी पैसे हम बैंक में जमा करते हैं उसके लिए हमें ब्याज भी देते हैं, और इतने सारी फैसिलिटी भी प्रदान करते हैं, तो यह कमाते कैसे हैं। तो चलिए जानते आज बैंक पैसे कैसे कमाते हैं।
किसी भी बैंक के कई अलग-अलग कमाई के स्रोत हैं। जिसमे से पहला और मुख्य कमाई स्रोत ऋण है। जैसा की आप जानते है, अगर कोई ग्राहक बैंक से ऋण लेता है, तो वहां उसे 10% से लेकर 15% तक ब्याज देना पड़ता है। वहीं अगर कोई व्यक्ति अपना पैसा बैंक में जमा रखता है, तो उसे ज्यादा से ज्यादा 8% तक ब्याज दिया जाता है। अगर यह पैसा बचत खाता में हो, तो ब्याज और भी कम हो जाता है। यहां ब्याज 3 से लेकर 4% तक ही होता है। और इस तरह से बैंक 4% से लेकर 8% तक ब्याज कमाता है। इसके अलावा बैंकिंग प्रणाली के अन्य कई कमाई के स्रोत निम्न है:-
• क्रेडिट कार्ड जारी करना और रखरखाव शुल्क :- आपने देखा हो तो कई बार आपको बैंक की तरफ से क्रेडिट कार्ड के लिए कॉल आता होगा जहां वे आपसे क्रेडिट कार्ड लेने के लिए कहते हैं क्योंकि क्रेडिट कार्ड जारी करने पर उन्हें आपको शुल्क देना होता है और क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने पर आपको प्रति वर्ष कुछ पैसे देने होते हैं और इस तरह क्रेडिट कार्ड से बैंको की कमाई होती है।
• डेबिट कार्ड जारी करने और रखरखाव शुल्क :- डेबिट कार्ड या ATM card तो आपके पास भी होगा। अगर आपको बैंक से पैसे निकालने हैं तो डेबिट कार्ड का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं डेबिट कार्ड के लिए भी आपको कितना पैसा देना पड़ता है? कई सारे बैंक तो आपको शुरू में फ्री में डेबिट कार्ड दे देते हैं, परंतु कई सारे बैंक आपको जब पहली बार डेबिट कार्ड देते हैं, तो वहां आपसे कुछ चार्ज लिया जाता है। इसके अलावा जब आप डेबिट कार्ड का उपयोग करते हैं तो आपके बैंक अकाउंट से प्रतिवर्ष डेबिट कार्ड चार्ज लिया जाता है। इस तरह बैंक के द्वारा जितने भी डेबिट कार्ड दिए गए होते हैं उन सभी डेबिट कार्ड धारकों से सालाना पैसे वसूल किए जाते हैं।
• क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड नकद निकासी शुल्क :- अगर आपके पास एक क्रेडिट कार्ड है, और आप उससे एटीएम से जाकर पैसे निकालते हैं, तो आपसे वहां कुछ चार्ज लिया जाता है। वहीं अगर आपने कोई डेबिट कार्ड ले रखा है, तो कुछ 4 से 6 बार आपको एटीएम से फ्री में कॅश निकालने दिया जाता है, परंतु अगर आप इससे ज्यादा बार पैसे निकालते हैं, तो आपको हर बार बैंक को कुछ एक्स्ट्रा चार्ज देना होता है। और इस तरह जितनी बार आप 1 महीने में अधिक एटीएम कार्ड को यूज करेंगे उतना ज्यादा आपको अधिक पैसा देना होगा।
• चेकबुक जारी करने और चेक बाउंस शुल्क :- बैंक से अगर कोई चेक बुक लेना चाहता है, तो चेक बुक जारी करने के लिए बैंक उनसे कुछ चार्ज वसूल करती है। इसके अलावा अगर कोई चेक बाउंस हो जाता है, जैसे अगर अकाउंट में पैसे नहीं हो और आपने किसी को चेक दे दिया है, तो ऐसे में चेक बाउंस हो जाता है। और चेक बाउंस होने पर उस खाताधारक के एकाउंट से दंड के रूप में कुछ पैसे काट लिए जाते हैं।
• एसएमएस अलर्ट शुल्क :- जब भी आपके बैंक अकाउंट से पैसे निकाले जाते हैं या जमा किए जाते हैं या किसी और तरह का कोई गतिविधि होता है, तो इसके लिए बैंक के तरफ से आपको एसएमएस (message) आता है। पर क्या आप जानते हैं सालाना आपको s.m.s. के लिए भी चार्ज देना होता है। हर साल में एक बार बैंक आपके अकाउंट से s.m.s. चार्ज काटती है।
• मासिक औसत बैलेंस प्रभार शुल्क :- हर तरह के क्षेत्र के लिए, बैंकों के द्वारा, बैंक एकाउंट में, एक कमसे कम उपलब्ध होने की निर्धारित राशि तय की गई है। अगर कोई व्यक्ति महीने के अंत तक उस तय की गई राशि से कम राशि अपने अकाउंट में रखता है, तो इसके लिए उनसे कुछ चार्ज उनके अकाउंट से काट लिया जाता है। इस तरह के चार्ज से ज्यादातर कमाई ग्रामीण क्षेत्रों में होती है।
• इंटरनेट बैंकिंग लेनदेन शुल्क :- अगर आप अपने बैंक की ऑनलाइन सर्विसेज का उपयोग करते हैं, तो वहां आपको कुछ ट्रांजैक्शन फ्री दिए जाते हैं। परंतु अगर आप ज्यादा बार पैसों का लेनदेन इंटरनेट बैंकिंग के जरिए करते हैं, तो वहां भी आपको कुछ शुल्क देना होता है।
• बीमा :- कई सारे बैंक अलग-अलग तरह के बीमा योजना भी चलाते हैं। जिसमें वे जीवन बीमा, वाहन बीमा इत्यादि बेचते हैं, और इनसे भी उनको कमाई होती है।
• लॉकर सुविधा :- कई सारे बैंकों के द्वारा आपको लॉकर की सुविधा भी दी जाती है। जिसमें आप अपने कीमती वस्तुओं को बैंक में जमा करके रख सकते हैं। और इसके लिए आपको सालाना एक निश्चित रकम देनी होती है।
• बांड और म्यूच्यूअल फण्ड :- जैसा कि आप जानते होंगे बैंकों के अलग-अलग कई सारे मुचल फंड भी होते हैं, जहां से उनको कमाई होती है। इसके अलावा अगर बैंक के पास ज्यादा पैसे जमा हो जाते हैं, और वह ज्यादा लोन नहीं दे पाते हैं, तो बचे हुए पैसों को वे सरकारी बांड या म्यूच्यूअल फंड में ही इन्वेस्ट करते हैं। जहां से उन्हें अच्छी खासी रिटर्न मिल जाती है।
यह थे कुछ मुख्य बैंकों के कमाई का जरिया। इसके अलावा भी कई सारे तरीके हैं जहां से बैंक पैसे कमाते हैं। यहां आपके दिमाग में यह सवाल आ सकता है कि अगर छोटे-छोटे चार्जर्स जैसे s.m.s. चार्ज इत्यादि से बैंक को भला कितना ज्यादा फायदा होता होगा! तो आप थोड़ा मैथ करेंगे तो आप देख पाएंगे कि आप से लिया गया एक छोटा सा रकम अगर लाखों-करोड़ों लोगों से लिया जा रहा है तो वह कितना ज्यादा हो सकता है।
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