QR code और barcode दोनो ही एक तरह के कोड है जिसमे मशीनों के द्वारा पढ़े जाने योग्य डेटा को संग्रहित किया जाता है।
जहां क्यूआर कोड एक ओपन सोर्स सिस्टम है जिसे कोई भी यूज़ कर सकता है। यहां QR code का मतलब है quick response code. एक क्यूआर कोड के अंदर 7089 अंक या 4296 अक्षर जमा किये जा सकते है। जबकि बारकोड में सिर्फ 12 अंक ही जमा किए जा सकते।
क्यूआर कोड का उपयोग आपने कई जगह पर देखा होगा। जैसे पेमेंट रिसीव करने के लिए क्यूआर कोड का उपयोग करके पेमेंट लिंक बनाया जाता है। कई सारे खुदरा बेचे जाने वाले वस्तुओं के पैकेट पर आपको क्यूआर कोड देखने को मिलता है जिसे स्कैन करके आप उसके अंदर छिपे जानकारी को प्राप्त कर सकते हैं।
क्यूआर कोड को आप अपने दैनिक जीवन में भी उपयोग में ला सकते हैं। जैसे अगर आपको आपके किसी वेबसाइट का यूआरएल बार-बार किसी को बताना पड़ता है, तो आप इसे एक्यूआर कोर्ट में डालकर रख सकते हैं। जिसके बाद अगर कोई उस क्यूआर कोड को स्कैन करेगा तो, वह सीधे आपके वेबसाइट तक पहुंच जाएगा। इसके अलावा वाईफाई पासवर्ड या ऐसे कई और चीजों का भी qr-code बनाया जा सकता है।
वहीं अगर हम बात करें बारकोड की तो, बारकोड ज्यादातर बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने वस्तुओं में इसे प्रिंट करती है। आज अगर आप कोई भी वस्तु खरीदते हैं चाहे वह तेल, साबुन, बिस्किट, चिप्स, कोल्ड ड्रिंक या कोई और भी वस्तु हो तो, आपको उस पर बारकोड देखने को मिलता है। तो यह बारकोड इसलिए लगाया जाता है ताकि उस वस्तु की गिनती, देखरेख और बिक्री में आसानी लाई जा सके।
छोटे-मोटे दुकानों पर तो किसी वस्तु की गिनती व देखरेख में ज्यादा दिक्कत नहीं आती। परंतु अगर हम बात करते हैं बड़े-बड़े वेयरहाउस या मॉल की तो वहां इन वस्तुओं को बहुत ज्यादा मात्रा में रखा जाता है जिसके लिए बारकोड कोड बहुत उपयोगी होता है। अगर किसी वस्तु पर बारकोड ना लगाया जाए तो बार-बार उसे गिन कर रखना होगा और कितने बीके है और कितने बचे है इसका हिसाब रखना भी मुश्किल हो जाएगा। बारकोड लगाने से इसका हिसाब रखना बहुत आसान हो जाता है। जब भी कोई वस्तु बेची जाती है, तब उसे इस बार कोड के जरिए स्कैन किया जाता है, और इससे पता चल जाता है, कि वह वस्तु कितनी बेची जा चुकी है, और कितनी बची है।
जहां क्यूआर कोड एक ओपन सोर्स सिस्टम है जिसे कोई भी यूज़ कर सकता है। यहां QR code का मतलब है quick response code. एक क्यूआर कोड के अंदर 7089 अंक या 4296 अक्षर जमा किये जा सकते है। जबकि बारकोड में सिर्फ 12 अंक ही जमा किए जा सकते।
क्यूआर कोड का उपयोग आपने कई जगह पर देखा होगा। जैसे पेमेंट रिसीव करने के लिए क्यूआर कोड का उपयोग करके पेमेंट लिंक बनाया जाता है। कई सारे खुदरा बेचे जाने वाले वस्तुओं के पैकेट पर आपको क्यूआर कोड देखने को मिलता है जिसे स्कैन करके आप उसके अंदर छिपे जानकारी को प्राप्त कर सकते हैं।
क्यूआर कोड को आप अपने दैनिक जीवन में भी उपयोग में ला सकते हैं। जैसे अगर आपको आपके किसी वेबसाइट का यूआरएल बार-बार किसी को बताना पड़ता है, तो आप इसे एक्यूआर कोर्ट में डालकर रख सकते हैं। जिसके बाद अगर कोई उस क्यूआर कोड को स्कैन करेगा तो, वह सीधे आपके वेबसाइट तक पहुंच जाएगा। इसके अलावा वाईफाई पासवर्ड या ऐसे कई और चीजों का भी qr-code बनाया जा सकता है।
वहीं अगर हम बात करें बारकोड की तो, बारकोड ज्यादातर बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने वस्तुओं में इसे प्रिंट करती है। आज अगर आप कोई भी वस्तु खरीदते हैं चाहे वह तेल, साबुन, बिस्किट, चिप्स, कोल्ड ड्रिंक या कोई और भी वस्तु हो तो, आपको उस पर बारकोड देखने को मिलता है। तो यह बारकोड इसलिए लगाया जाता है ताकि उस वस्तु की गिनती, देखरेख और बिक्री में आसानी लाई जा सके।
छोटे-मोटे दुकानों पर तो किसी वस्तु की गिनती व देखरेख में ज्यादा दिक्कत नहीं आती। परंतु अगर हम बात करते हैं बड़े-बड़े वेयरहाउस या मॉल की तो वहां इन वस्तुओं को बहुत ज्यादा मात्रा में रखा जाता है जिसके लिए बारकोड कोड बहुत उपयोगी होता है। अगर किसी वस्तु पर बारकोड ना लगाया जाए तो बार-बार उसे गिन कर रखना होगा और कितने बीके है और कितने बचे है इसका हिसाब रखना भी मुश्किल हो जाएगा। बारकोड लगाने से इसका हिसाब रखना बहुत आसान हो जाता है। जब भी कोई वस्तु बेची जाती है, तब उसे इस बार कोड के जरिए स्कैन किया जाता है, और इससे पता चल जाता है, कि वह वस्तु कितनी बेची जा चुकी है, और कितनी बची है।
वीडियो के माध्यम से और बेहतरीन समझने के लिए नीचे देखें।👇
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