जब हम निवेश करने की सोचते हैं तो हमारे पास कई सारे विकल्प होते हैं जहां पर एक ओर हमें फिक्स्ड दडिपाजिट और रेकरिंग डिपाजिट का विकल्प मिलता है। पर यहां पर कई सारे लोग असमंजस में होते हैं कि यह फिक्स डिपाजिट और रिकरिंग डिपॉजिट क्या होता है, इसमें क्या अंतर है और इसमें से हमें किस में निवेश करना चाहिए।
तो जब हम कोई राशि एक साथ किसी निश्चित समय तक के लिए जमा करते हैं एक निश्चित रिटर्न के लिए तो, इसे फिक्स्ड डिपॉजिट या सावधि जमा कहते हैं। जिसमे आप सिर्फ एक बार ही निवेश करते है और एक निश्चित समय के बाद आपको एक निश्चित रिटर्न् मिलता है
वहीं अगर हम कोई राशि एक निश्चित अंतराल पर एक निश्चित समय तक एक निश्चित रिटर्न के लिए जमा करते हैं तो इसे रिकरिंग डिपॉजिट या आवर्ती जमा कहते हैं। इसमे हम राशि निश्चित अंतराल पर पर जमा करते जाते है, जैसे हर महीने या हर तीन महीने पर, और ऐसे हम एक निश्चित समय तक करते है जैसे 1 साल, 5 साल या 10 साल। और समय पूरा होने पर हमें हमारे निवेश के आधार पर एक निश्चित रिटर्न् मिलता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में रिकरिंग डिपॉजिट का ब्याज दर थोड़ा कम होता है, पर ज़्यादातर लोग रिकरिंग डिपॉजिट को ही पसंद करते हैं क्योंकि इसमें एक निश्चित अवधि पर राशि जमा करना आसान होता है और रिटर्न भी लगभग फिक्स्ड डिपॉजिट जितना मिल ही जाता है।
तो जब हम कोई राशि एक साथ किसी निश्चित समय तक के लिए जमा करते हैं एक निश्चित रिटर्न के लिए तो, इसे फिक्स्ड डिपॉजिट या सावधि जमा कहते हैं। जिसमे आप सिर्फ एक बार ही निवेश करते है और एक निश्चित समय के बाद आपको एक निश्चित रिटर्न् मिलता है
वहीं अगर हम कोई राशि एक निश्चित अंतराल पर एक निश्चित समय तक एक निश्चित रिटर्न के लिए जमा करते हैं तो इसे रिकरिंग डिपॉजिट या आवर्ती जमा कहते हैं। इसमे हम राशि निश्चित अंतराल पर पर जमा करते जाते है, जैसे हर महीने या हर तीन महीने पर, और ऐसे हम एक निश्चित समय तक करते है जैसे 1 साल, 5 साल या 10 साल। और समय पूरा होने पर हमें हमारे निवेश के आधार पर एक निश्चित रिटर्न् मिलता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में रिकरिंग डिपॉजिट का ब्याज दर थोड़ा कम होता है, पर ज़्यादातर लोग रिकरिंग डिपॉजिट को ही पसंद करते हैं क्योंकि इसमें एक निश्चित अवधि पर राशि जमा करना आसान होता है और रिटर्न भी लगभग फिक्स्ड डिपॉजिट जितना मिल ही जाता है।
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